नयी दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने राजधानी के इंद्रप्रस्थ डिपो से 100 लो-फ्लोर वातानुकूलित सीएनजी बसों और एक प्रोटोटाइप (नमूना) इलेक्ट्रिक बस को हरी झंडी दिखाई। कैलाश गहलोत के मुताबिक, ये बसें आधुनिक तथा पर्यावरण के अनुकूल हैं और शहर में प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगी।
बताते चलें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी जनवरी में 100 लो-फ्लोर वातानुकूलित संपीड़ित प्राकृतिक गैस बसों और एक प्रोटोटाइप इलेक्ट्रिक बस को हरी झंडी दिखाई थी। गहलोत ने तब कहा था कि सरकार, अप्रैल तक 300 ‘इलेक्ट्रिक’ बसें चलाने के लिए प्रयास कर रही है। इलेक्ट्रिक बस में दिव्यांग और महिला यात्रियों के लिए विशेष सुविधा दी जायेगी, जहां दिव्यांग यात्रियों को घुटनों के बल चढ़ने के लिए विशेष रैंप होगा, जबकि महिलाओं के लिए विशेष गुलाबी सीटों का इंतेजाम किया जायेगा। दिल्ली के सार्वजनकि परिवहन बेड़े में शामिल इलेक्ट्रिक बस को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया जायेगा, साथ ही कश्मीरी गेट पर टू-वे सेंट्रल कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की स्थापना और हर बस में 10 पैनिक बटन और एक एक हूटर लगाया जाएगा। दिल्ली के परिवहन मंत्री गहलोत ने कहा कि दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार आई थी तो 2015-16 में दिल्ली में कुल बसों की संख्या (डीटीसी और क्लस्टर मिलाकर) 5659 थी। 2016-17 में कुल बसें बढ़कर 5826 हुईं। 2017-18 में 5732, 2018-19 में 5576, 2019-20 में 6048 बसें हो गईं। वहीं, 2020-21 में कुल बसें 6900 पर पहुंच चुकी हैं। यानी बसों की संख्या लगातार बढ़ी है। सरकार का लक्ष्य मार्च 2023 तक कुल बसें 8242 करने का है।
यानी दिल्ली का बसों का बेड़ा एक साल में पहली बार 8000 को पार करेगा. मंत्री ने कहा कि कोरोना काल को छोड़ दें तो बीते वर्षो में दिल्ली सरकार क्लस्टर सेवा की नई बसों को कई बार हरी झंडी दिखा चुकी है। 26 दिसंबर 2019 को राजघाट बस डिपो से 100 नई बसें चलाई गईं। इससे पहले 25 अक्टूबर 2019 को भी 104 नई बसों को द्वारका सेक्टर-22 डिपो से चलाया गया था।
इसके बाद सात नवंबर 2019 को राजघाट डिपो से 100 बसों की शुरुआत की गई। नवंबर के अंत में भी राजघाट डिपो से ही 100 और बसे चली थीं। इन बसों से दिल्ली की सार्वजनिक यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद मिल रही है।
