फर्रुखाबाद।(आवाज न्यूज ब्यूरो) बच्चों के शरीर में संक्रमणों से बचने के लिए प्राकृतिक सुरक्षा होती है। इसे प्रतिरक्षण क्षमता (इम्युनिटी) कहा जाता है। जब बच्चों को कोई संक्रमण होता है, तो इससे लड़ने के लिए उनका शरीर रसायनों का उत्पादन करता है, जिन्हें एंटीबॉडीज कहा जाता है। संक्रमण के ठीक होने के बाद भी ये एंटीबॉडीज बच्चों के शरीर में ही रहते हैं। यह बातें राजेपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रमित राजपूत ने सीएचसी पर क्लिंटन हेल्थ एक्सेस इनिशिएटिव के सहयोग से आशा संगिनी को दिए गए एक दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान कही।
डॉ राजपूत ने कहा कि टीके का फायदा यह है कि संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षित होने के लिए हमें पूरी तरह बीमार होने की जरुरत नहीं है। हल्का संक्रमण होने से भी टीकाकरण के जरिये हम उसके खिलाफ प्रतिरक्षित हो सकते हैं। इसी वजह से हम उस बीमारी के होने से पहले ही उसके प्रति सुरक्षित हो जाते हैं।
डॉ राजपूत ने कहा कि बचपन में टीकाकरण करवाने से शिशु अपनी जिंदगी की शुरुआत से ही संभवतया गंभीर बीमारियों से प्रतिरक्षित हो जाता है। अगर, आपके शिशु को किसी बीमारी के खिलाफ टीका लगा हुआ है, तो उसे दोबारा वह बीमारी होने की संभावना काफी हद तक कम होती है। यह इसलिए क्योंकि आपके बच्चे ने उस बीमारी के खिलाफ एंटीबॉडीज का उत्पादन पहले ही कर लिया है।
टीकाकरण के बाद करीब 10 मिनट तक आपको डॉक्टर के क्लिनिक में ही रहने के लिए कहा जा सकता है। यह इसलिए ताकि अगर शिशु को इंजेक्शन के प्रति कोई प्रतिक्रिया होती है, तो डॉक्टर तुरंत उसकी जांच कर सकें। इंजेक्शन के जरिये दिए जाने वाले टीकों से शिशुओं और बच्चों को थोड़ी परेशानी हो सकती है। इससे वे चिड़चिड़े और अस्वस्थ महसूस कर सकते हैं। इंजेक्शन लगाई गई जगह अक्सर लाल और सूजी हुई हो जाती है। आपके शिशु को हल्का बुखार भी आ सकता है।
इसी को लेकर चाई संस्था की ओर से कलस्टर लीड साजिद अली ने आशा संगिनी को प्रशिक्षण देते समय कहा कि नियमित टीकाकरण को कैसे बेहतर किया जाय। इसके लिए आशा संगिनी को आशा को बताना होगा कि क्षेत्र में सही से सर्वे किया जाय और उसको आशा डायरी में कैसे भरा जाए, 0-2 वर्ष के बच्चों का चिन्हीकरण, अपडेटेड ड्यू लिस्ट बनाना इत्यादि विषयों के बारे में तैयार करना होगा। इस दौरान बीपीएम रोहित सिंह, चाई संस्था से जिला प्रतिनिधि शबाब रिजवी, एंव निदा मौजूद रहे।