यूपी स्टेट फार्मेसी में पंजीकरण के नाम पर धन उगाही का खुलासा : डिप्टी सीएम ने दिए जांच के आदेश

लखनऊ। (आवाज न्यूज ब्यूरो) यूपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण के नाम पर धनउगाही के खुलासे के बाद शनिवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने डीजी हेल्थ को मामले की जांच के आदेश दिए। इस पर स्वास्थ्य महानिदेशक ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बना दी है, जो हफ्ते भर में रिपोर्ट देगी। इसके बाद दोषी कर्मचारियों पर गाज गिरेगी। बताते चलें यह खुलासा लखनऊ के प्रतिष्ठत हिन्दी दैनिक समाचार पत्र ‘अमर उजाला’ की ओर से किया गया है। इस खेल के खुलासे के बाद यूपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल के बाहर दलालों की दुकानें बंद रहीं। शुक्रवार को वीडियो में नजर आया दलाल भी अंडरग्राउंड हो चुका था।
यूपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल में बीफार्मा, फार्मासिस्ट व अन्य विधा में पंजीकरण के बदले दलाली का खेल लंबे समय से चल रहा था। इसके लिए 13 हजार रुपये तक वसूले जा रहे थे, जबकि इसकी फीस 1550 रुपये है। यह घूस 15 दिन में काम कराने के नाम पर ली जा रही थी। अभ्यर्थियों को फंसाने के लिए कर्मचारियों ने दलालों को एजेंट बना रखा है। इस खेल का ‘अमर उजाला’ ने शनिवार को खुलासा किया था। इसके बाद डिप्टी सीएम ने जांच के आदेश दिए हैं।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. वेदव्रत सिंह ने जांच कमेटी में फार्मेसी काउंसिल की रजिस्ट्रार डॉ. निरूपमा दीक्षित, संयुक्त निदेशक सीएमएसडी सुनील भारतीय, सहायक वित्त अधिकारी जितेंद्र यादव को रखा है। इन्हें साक्ष्य के तौर पर वीडियो मुहैया कराए गए हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक का कहना है कि जरूरत पड़ने पर पुलिस को पत्र भेजकर सर्विलांस से दलाल-कर्मचारियों के रैकेट का पता कराया जाएगा, ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके।
चिंता न करो, दो-चार दिन में फिर सब पटरी पर लौट आएगा…
‘अमर उजाला’ प्रतिनिधि ने शनिवार को एक बार फिर अभ्यर्थी बनकर काम करवाने के लिए दुकानदारों से संपर्क करने की कोशिश की। इस दौरान मशक्कत बाद एक दलाल काम कराने के लिए राजी हुआ। उसने यह भी कहा कि चिंता न करो, दो-चार दिन बाद फिर सब पटरी पर लौट आएगा।
दलाल से बातचीत के अंश
रिपोर्टर- दस दिन से बाबू दौड़ा रहे हैं, पर काम नहीं हो रहा है।
एजेंट- किनारे खड़े रहो, अभी बताते हैं आकर।
(आधे घंटे बाद एजेंट ने बातचीत शुरू की। दुकानेेेें बंद होने का कारण पूछा तो ‘अमर उजाला’ में खबर छपने की बात कही।)
रिपोर्टर- भइया, सख्ती हो रही है तो काम किस तरह होगा?
एजेंट- चिंता न करो, दो-चार दिन बाद फिर सब पटरी पर लौट आएगा।
रिपोर्टर- हमारा काम कब तक हो जाएगा?
एजेंट- मंगलवार तक अवकाश है, उसके बाद आना।
रिपोर्टर- कितना पैसा लगेगा काम होने में?
एजेंट- पहले फाइनल ईयर की मार्कशीट ले आना, फिर बताऊंगा।
रिपोर्टर- अपना मोबाइल नंबर दे दीजिए?
एजेंट- मेरा नंबर न लो, मंगलवार बाद यहीं पर मिलेंगे, तब मुलाकात होगी।

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