हम चाहते तो 2003 में ही बन सकते थे मुख्यमंत्री: शिवपाल
इटावा।(आवाज न्यूज ब्यूरो) प्रसपा सुप्रीमों शिवपाल सिंह यादव ने गठबंधन को लेकर सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव को अल्टीमेटम दिया। कहा कि अब गठबंधन पर फैसला जल्द हो जाना चाहिए। ऐसा नहीं होगा तो वह लखनऊ में प्रसपा का बड़ा सम्मेलन करेंगे। पार्टी पदाधिकारियों से रायशुमारी कर आगे की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने यह बातें सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर सैफई के चंदगीराम स्टेडियम में आयोजित दंगल प्रतियोगिता के दौरान कहीं।
प्रसपा सुप्रीमों ने सियासत, परिवार व पार्टी के लिए अपने त्याग व मुलायम से भावनात्मक जुड़ाव की बातें भी कहीं। उन्होंने कहा कि सपा को एक हफ्ते में गठबंधन या विलय का फैसला ले लेना चाहिए। वह गठबंधन या विलय करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता सपा के साथ गठबंधन करने की है। नेताजी के जन्मदिन पर प्रदेश के लोग गठबंधन पर आस लगाए थे। अब जो भी हो जल्दी हो।
शिवपाल सिंह ने कहा कि नेता जी ने हमको पढ़ाया भी है, कभी-कभी कुश्ती के दांव भी सिखाए हैं। राजनीति के बारे में भी बहुत कुछ सीखा है। हमने तो दो साल पहले ही कहा था कि अखिलेश बन जाएं मुख्यमंत्री, तब से कोई नहीं बदला। कहा कि एकता में ताकत होती है, बिखराव में ताकत नहीं होती है। परिवार में बिखराव होता है तो बहुत कमियां आती हैं।
प्रसपा सुप्रीमों ने कहा कि हम अपने समर्थकों के लिए 100 सीटें चाहते थे, लेकिन अब पीछे हट गए। हम ही झुक गए। आज दो साल हो गए यह बात कहे हुए, लेकिन कोई बात अभी तक फाइनल नहीं हुई। गठबंधन के साथ-साथ जो जीतने वाले लोग हैं, उनको टिकट दे दो, हम विलय के लिए तैयार हैं। समाजवादी पार्टी 303 सीटों पर लड़ ले और 200 से ज्यादा जीत जाए। हम केवल 50 भी जीत जाएं तो सरकार 2022 में ही बन जाएगी। गठबंधन या विलय को लेकर अब बहुत देर हो रही है।
भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि इस समय देश के हालात ठीक नहीं है। भाजपा सरकार में किसान, मजदूर, नौजवान, बुनकर सब परेशान हैं। महंगाई चरम पर है। हमारे हाथ में ताकत आई तो हर परिवार में एक बेटा या बेटी को सरकारी नौकरी मिलेगी। किसानों को खाद की कमी नहीं होगी।
शिवपाल ने कहा कि हम चाहते तो साल 2003 में ही मुख्यमंत्री बन सकते थे, लेकिन मैंने नेताजी को दिल्ली से बुलाकर मुख्यमंत्री बनवाया था। दूसरी पार्टियों के 40 विधायक इकट्ठा किए थे। उस वक्त 25 विधायक भाजपा के भी हमारे साथ थे। अजीत सिंह, कल्याण सिंह भी साथ थे। उन्होंने कहा कि बसपा सुप्रीमों मायावती के कार्यकाल में हमारे लोगों पर अत्याचार हुआ था। तब विपक्ष में रहते हुए उनका विरोध किया था। हमारे व कार्यकर्ताओं के संघर्ष से ही वर्ष 2012 की सरकार बनी थी। पहले लोग हमारे दल को छोटा दल कहते थे, लेकिन मथुरा से रथ निकलने के बाद लोगों को पता लग गया कि हमारा दल छोटा नहीं है। हमारी प्राथमिकता पर आज भी समाजवादी पार्टी है।