फर्रुखाबाद | (आवाज न्यूज ब्यूरो) फाइलेरिया के लक्षण प्रतीत होने पर जल्द से जल्द पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सम्पर्क करें और इसके इलाज में लापरवाही न बरतें l इसके साथ ही जब भी फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चले, उस दौरान मिलने वाली फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें l यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनींद्र कुमार का l
सीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर में बहुत ही ज़्यादा सूजन हो जाती है । इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। जिन व्यक्तियों के अंदर माइक्रो फाइलेरिया के कीटाणु रहते है, उन्हें दवा सेवन करने पर कुछ प्रभाव जैसे- जी मचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना, चक्कर आना आदि हो सकता है। इससे घबराना नहीं चाहिए |
इसी क्रम में मगंलवार को सीएचसी राजेपुर में 20 फाइलेरिया रोगियों को प्लास्टिक की बाल्टी, मग, साबुन, तौलिया तथा क्रैप बैंडेज दी गयी । इसके साथ ही उन्हें नियमित तौर पर व्यायाम करते रहने की सलाह भी दी गई|
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी और प्रभारी जिला मलेरिया अधिकारी डॉ राजेश माथुर ने बताया कि इस किट का वितरण आगामी दिवसों में सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से भी किया जायेगा जिस किसी को इस रोग की शिकायत हो वह सम्बंधित सीएचसी पर जाकर इस किट को प्राप्त कर सकता है | जब भी किट लेने आयें अपना आधार कार्ड साथ लेकर आयें |
डॉ. माथुर ने कहा कि राजेपुर ब्लॉक में 107 फाइलेरिया रोगी हैं जिनमें से 20 लोगों ने आज़ किट प्राप्त कर ली है, जिन लोगों को आज़ किट नहीं मिल पाई है सीएचसी पर अपना आधार कार्ड दिखाकर प्राप्त कर सकते हैं l
इसके साथ ही कहा कि इस समय लगभग 1243 लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं | इस रोग से ग्रसित लोगों को अपनी साफ़ सफाई रखनी चाहिए और अगर पैरों में सूजन है, तो पैरों के नीचे तकिया लगा कर रखें पैरों को अधिक देर तक लटकाएं नहीं | हाइड्रोसील से ग्रसित मरीज भी फाइलेरिया के अंतर्गत आते हैं वह अपना आपरेशन डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में मुफ्त करा सकते हैं |
फाइलेरिया निरीक्षक दीपांशु यादव ने बताया कि यह बीमारी क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलती है, इस मच्छर के पनपने में मल, नालियों और गड्ढों का गंदा पानी मददगार होता है , इस मच्छर के लार्वा पानी में टेढ़े होकर तैरते रहते हैं। क्यूलैक्स मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो वह फाइलेरिया के छोटे कृमि का लार्वा उसके अंदर पहुँचा देता है। संक्रमण पैदा करने वाले लार्वा के रुप में इनका विकास 10 से 15 दिनों के अंदर होता है। इस अवस्था में मच्छर बीमारी पैदा करने वाला होता है। इस तरह यह चक्र चलता रहता है।
फाइलेरिया के लक्षण
1. एक या दोनों हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
2. कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
3. पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
4. पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं|
राजेपुर की रहने वाली 64 वर्षीय कमला (बदला हुआ नाम) कहतीं हैं कि मुझे चार – पांच माह पहले फाइलेरिया की शिकायत हुई थी | काफी निजी चिकित्सकों से इलाज कराया पर कोई फायदा नहीं मिला , तब जाकर मलेरिया कार्यालय से मुझे दवा मिली थोडा-थोडा आराम है| पहले से पैरों की सूजन कम हुई है |
इस दौरान सीएचसी राजेपुर के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ प्रमित राजपूत, फाइलेरिया निरीक्षक योगेश, पाथ संस्था के रीजनल एनटीडी आफीसर डॉ शिवकांत, बीसीपीएम विजय पाल मौजूद रहे |