फाइलेरिया की दवाएं अवश्य खाएं खुद के साथ परिवार को संक्रमण से बचाएं : डा.ब्रजेश शुक्ला
बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर शनिवार को एक होटल में ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को रुग्णता प्रबंधन पर आयोजन हुआ। इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ नित्यानंद ठाकुर और पाथ संस्था से डॉ शिवकांत ने हिस्सा लिया। अधिकारियों ने फाइलेरिया प्रभावित मरीजों को अपने घर पर ही वाशिंग और ड्राइंग करने का तरीका सिखाया। इस मौके पर मौजूद रोगियों को बाल्टी, मग, साबुन और तौलिया वितरित किया गया। साथ ही उन्हें नियमित व्यायाम करने की सलाह दी गई।
मुख्यचिकित्सा अधिकारी डा.विनोद कुमार ने कहा कि फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर में बहुत ही ज्यादा सूजन हो जाती है। इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। जिनके शरीर में माइक्रो फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं उन्हें दवा सेवन करने पर कुछ प्रभाव जैसे जी मचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना, चक्कर आना आदि हो सकता है।
एसीएमओ व वेक्टर बोर्न डिजीज के नोडल अधिकारी डॉ ब्रजेश शुक्ला ने कहा कि जब भी फाइलेरिया टीम घर आये तो उससे दवा खानी है। यह बीमारी एक बार हो जाने पर इसका कोई इलाज नहीं है। उन्होंने बताया कि इस किट का वितरण सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से भी किया जाएगा। जिसको इस रोग की शिकायत हो वह सम्बंधित सीएचसी पर जाकर इस किट को ले सकता है। किट लेने के लिए आधार कार्ड अवश्य दिखाएं।
जिला मलेरिया अधिकारी डा.हिलाल अहमद खान ने बताया कि जिले में अभी 332 लोग फाइलेरिया रोगी हैं। मरीज को नियमित अपनी साफ़ सफाई करनी चाहिए और अगर पैरों में सूजन है, तो पैरों के नीचे तकिया लगा कर रखें। पैरों को अधिक देर तक लटकाएं नहीं। हाइड्रोसील से ग्रसित मरीज भी फाइलेरिया के अंतर्गत आते हैं।यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है। मच्छर के पनपने में मल, नालियों और गड्ढों का गंदा पानी मददगार होता है। इस मच्छर के लार्वा पानी में टेढ़े होकर तैरते हैं। क्यूलेक्स मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो वह फाइलेरिया के छोटे कृमि का लार्वा उसके अंदर पहुंचा देता है। संक्रमण पैदा करने वाले लार्वा के रूप में इनका विकास 10 से 15 दिनों के अंदर होता है। इस अवस्था में मच्छर बीमारी पैदा करने वाला होता है। इस तरह यह चक्र चलता रहता है।
पाथ संस्था के डा.शशिकांत ने कहा कि फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है। खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।
उन्होंने बताया कि रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को ये दवाएं खानी हैं। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते,अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं। जोकि दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं।
फाइलेरिया के लक्षण
1. एक या दोनों हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
2. कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
3. पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
4. पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं|
उमर्दा ब्लाक के ग्राम अगौस निवासी 62 वर्षीय सुभाष चन्द्र ने बताया कि मुझे लगभग 15 साल से एक पैर में सूजन आ गई मैंने निजी चिकित्सकों से ईलाज कराया लेकिन कोई आराम नहीं मिला l अब मैं मलेरिया विभाग के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में दवाई ले रहा हूं अब मुझे आराम है l
इस दौरान डा.जे.पी.सलोनिया, डा.के.पी.त्रिपाठी, डा.डी.पी.आर्या, डा.गीतम सिंह, यूनिसेफ से आशुतोष बाजपेई, जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्साधीक्षक, सभी मलेरिया निरीक्षक,बीसीपीएम सहित कई स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे।