फाइलेरिया से बचने के लिए जागरूकता आवश्यक: जिला मलेरिया अधिकारी
बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने व इस बीमारी से सुरक्षित रखने के मकसद के साथ जिले में 11 नबम्वर को राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस मनाया गया। इसी क्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जलालाबाद में शिविर लगाकर लोगों में फाइलेरिया की जांच व पंजीकृत 10 मरीजों को एमएमडीपी किट के तहत बाल्टी, मग, टब ,तौलिया, साबुन व एन्टी फंगल क्रीम दिया गया| इसके बाद किट के इस्तेमाल करने का डेमो भी दिखाया गया।
इस अवसर पर जिला मलेरिया अधिकारी डा.हिलाल अहमद खान ने बताया कि फाइलेरिया की बीमारी फ्यूलेक्स क्यूलेक्स और मैनसोनाइडिस प्रजाति के मच्छरों से होती है।जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है,तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है। तो फाइलेरिया के कीटाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक छुपा हुआ दुश्मन है।
क्योंकि इसके संक्रमण के लक्षण मौन रहते है और लंबे समय लगभग 8 से 12 सालों नजर आते है। इस वजह से इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम व रोग के प्रति जागरूकता ही इसका समाधान है।
जिले में ब्लाकवार फाइलेरिया मरीजों की संख्या
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जिले के छिबरामऊ ब्लॉक में 22, सौरिख ब्लॉक में 35, हसेरन ब्लाक में 30,तालग्राम ब्लाक में 42,जलालाबाद ब्लाक में 96, गुगरापुर ब्लाक में 43,कन्नौज ब्लाक में 16 वह उमर्दा 41 फाइलेरिया रोगी पंजीकृत है।इस तरह से जिले में कुल 332 मरीज हैं जिसमें 85 मरीज हाइड्रोसील से ग्रसित हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्साधीक्षक डा.महेन्द्र मान सिंह ने बताया कि फाइलेरिया से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा डी.ई.सी. एवं एल्वेन्डाजोलकी खुराक का सेवन करना चाहिए। क्योंकि गंदे पानी में पैदा होने वाले संक्रमित मच्छर कभी भी किसी को काटकर फाइलेरिया रोग से संक्रमित कर सकते है।
उन्होंने कहा कि शरीर के जिन अंगों पर फाइलेरिया का प्रभाव होता है। उसकी त्वचा पर जीवाणु तेजी से पनपते हैं। वही इन जीवाणुओं की संख्या अधिक होने के कारण प्रभावित अंगों में दर्द लालपन एवं रोगी को बुखार हो जाता है।फाइलेरिया प्रभावित अंगों में शुरूआत में सूजन के लक्षण होते हैं।बाद में यही सूजन स्थायी और लाइलाज हो जाती है। दवा के सेवन से जब शरीर में फाइलेरिया कृमि मरते हैं तो बुखार खुजली उल्टी जैसे लक्षण हो सकते हैं जो स्वतः तीन से चार घंटे में समाप्त हो जाते हैं। इस लक्षण के होने पर इसका सामान्य इलाज किया जा सकता है चिकित्साधीक्षक ने बताया कि इस बीमारी में नियमित साफ-सफाई और व्यायाम बहुत जरूरी है। इसमें जितना ज्यादा व्यायाम करने उतना ही सुजन को कम कर सकेंगे।
फाइलेरिया के लक्षण
-एक या दोनों हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
-कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
-पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
-पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं|
ऐसे करें बचाव
रात को सोते वक्त मच्छरदानी प्रयोग करें।
पूरी बाजू के कपड़े पहने।
आस-पास गंदगी या कूड़ा जमा न होने दें।
नालियों में पानी रुकने न दें।
रोगी को दवा खाली पेट नहीं लेनी चाहिए।