सामाजिक न्यूज़

सत्यपाल मलिक का निधन : मल्लिकार्जुन खरगे,राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने जताया शोक

‘‘कहा : बेबाक और निडर आवाज को देश ने खो दिया‘‘‘नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत कई पार्टियों के नेताओं ने दुख जाहिर किया है। कांग्रेस नेता का कहना है कि …

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क्या सरकार की प्रताडऩा ने ली सत्यपाल मलिक की जान?

‘‘जम्मू कश्मीर के पूर्व गवर्नर का निधन‘‘‘‘किसान आंदोलन पुलवामा हमले, पेगासस जासूसी मुद्दे पर उन्होंने जो कुछ कहा, वह सत्ता के लिए राजद्रोह बन गया!‘‘‘नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)। शिबू सोरेन की मौत की खबर से सन्न देश को एक और महान नेता की मौत की खबर ने हिला कर रख …

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स्कूल छोड़ती बेटियाँ : संसाधनों की कमी या सामाजिक चूक?

(“बेटियाँ क्यों छोड़ रही हैं स्कूल? सवाल सड़कों, शौचालयों और सोच का है” “39% लड़कियाँ स्कूल से बाहर: किसकी जिम्मेदारी?” “‘बेटी पढ़ाओ’ का सच: किताबों से पहले रास्ते चाहिए”)  राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट ने चौंकाने वाला सच उजागर किया है कि 15 से 18 वर्ष की उम्र की लगभग …

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नौकरी लगते ही पतियों को छोड़ रही हैं आधुनिक औरतें

(रिश्तों की हत्या का आधुनिक ट्रेंड) नौकरी लगते ही पतियों को छोड़ रही हैं आधुनिक औरतें “रोज़गार मिला, रिश्ते छूटे,जिसने पढ़ाया, वही पराया हो गया” नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)। विवाह अब त्याग और समर्पण की बजाय स्वार्थ और स्वतंत्रता की शरण में चला गया है। अनेक मामले सामने आ रहे हैं …

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एआई की छाया में सोच की समाप्ति?

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) ने हमारी सोचने, लिखने और सृजन करने की प्रक्रिया को तेजी से बदल दिया है। सुविधा के साथ-साथ यह हमारी मौलिकता और मानसिक सक्रियता को भी चुनौती दे रही है। एआई पर अत्यधिक निर्भरता से रचनात्मकता कम हो रही है, और सोचने की शक्ति निष्क्रिय हो रही …

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महाराजा संपादक : जब चौपाल बंद हो जाए और दरबार लगने लगे

“जनता की बात नहीं सुनते संपादक, फिर किसके लिए हैं अखबार?” जब लोकतंत्र का प्रहरी—संपादक—जनता से संवाद बंद कर दे और सत्ता का दरबारी बन जाए, तब पत्रकारिता दम तोड़ने लगती है। आज बड़े संपादक आम आदमी से कट चुके हैं, गाँव-कस्बों की आवाज़ें अखबारों में गुम हैं। संवाद की …

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जब बच्चों की शिक्षा पर भारी पड़ता है पाखंड

भारत में बच्चों की शिक्षा को लेकर सबसे बड़ा संकट केवल गरीबी या संसाधनों की कमी नहीं, बल्कि धार्मिक पाखंड है। कुछ स्वयंभू बाबाओं द्वारा शिक्षा को अपवित्र, स्त्रियों के लिए अनुपयुक्त और समाज विरोधी बताकर बच्चों को स्कूल से दूर रखा जाता है। यह प्रवृत्ति न केवल संविधान के …

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एक बार विधायक, उम्रभर ऐश!

“5 साल की कुर्सी बनाम 60 साल की नौकरी: पेंशन का पक्षपात” एक कर्मचारी 60 साल काम करने के बाद भी पेंशन के लिए तरसता है, जबकि एक नेता 5 साल सत्ता में रहकर जीवनभर पेंशन पाता है। यह लोकतांत्रिक समानता के मूल्यों का मज़ाक है। सुप्रीम कोर्ट में दायर …

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कन्नौज : जलमग्न है तिर्वा कोतवाली का प्रवेश मार्ग, प्रीतम सागर भी खतरे में

बृजेश चतुर्वेदी कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो)। तिर्वा में कोतवाली रोड पर जलभराव की समस्या गंभीर हो गई है। बारिश के कारण सड़क पर कीचड़ और गड्ढे बन गए हैं। यहां जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। ठठिया चौराहे से कोतवाली होते हुए तालग्राम …

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स्क्रीन का शिकंजा : ऑस्ट्रेलिया से सबक लेता भारत?

ऑस्ट्रेलिया ने 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए यूट्यूब समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाने का साहसिक फैसला लिया है। यह कदम बच्चों को ऑनलाइन दुनिया के नकारात्मक प्रभावों से बचाने के लिए उठाया गया है। भारत जैसे देशों में, जहां डिजिटल लत तेजी से …

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