बीते 2017 विधानसभा चुनाव में पिछडे वर्ग के केशव प्रसाद मौर्य को फ्रंट पर लाकर भाजपा ने बनाई थी प्रचण्ड बहुमत की सरकार
योगी बने यूपी के मुख्यमंत्री,हाथ मलते रह गये थे केशव प्रसाद मौर्य
लखनऊ। (आवाज न्यूज ब्यूरो) यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों के बीच भाजपा को पिछडे वर्ग के वोट बैंक के खिसकते जनाधार से घबराहट होने लगी है, जिसके भय ने यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को फ्रंट पर लाने के लिये पार्टी को मजबूर कर दिया है। बीते 2017 विधानसभा चुनाव में पिछडे वर्ग के केशव प्रसाद मौर्य को फ्रंट पर लाकर भाजपा ने प्रचण्ड बहुमत की सरकार बनाई थी। लेकिन ऐन मौके पर योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया गया और केशव प्रसाद मौर्य हाथ मलते रह गये। अतंतः उन्हें उपमुख्यमंत्री बनकर ही संतोष करना पड़ा।
केशव प्रसाद मौर्य अभी तक भाजपा के भीतर साइडलाइन थे और अचानक उन्होंने मथुरा के कृष्ण मन्दिर पर बयान देकर राज्य में सियासी माहौल को गर्मा दिया है। इससे कई तरह के संकेत मिलते हैं। असल में केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी वर्ग के नेता माने जाते हैं और ओबीसी वर्ग में उनकी पकड़ भी मजबूत मानी जाती है। लेकिन कहा जा रहा है कि ओबीसी वोट बैंक भाजपा से खिसक रहा है और बीेते 2017 में केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री न बनाने से नाराज ओबीसी वोट बैंक भाजपा को सबक सिखाने के मूड़ में है। इसीलिये श्रीमौर्य का मथुरा के कृष्ण मन्दिर पर दिया गया ये बयान और उनकी सक्रियता इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि पार्टी ने उन्हें ओबीसी बोट बैंक को बिखरने से रोकने के लिए फ्रंट पर उतारा है, क्योंकि अभी तक सीएम योगी ही पार्टी के भीतर और बाहर हार्डलाइनर माने जाते थे। वहीं दूसरी ओर पार्टी ने ये संकेत भी दे दिए हैं कि आने वाले समय में वह हिंदू और हिंदुत्व के मुद्दों पर ही चुनाव में उतरेगी।
वहीं अगर देखें तो केशव प्रसाद मौर्य की अगुवाई में भाजपा ने 2017 का विधानसभा चुनाव प्रचण्ड़ बहुमत से जीता था। उस वक्त श्रीमौर्य यूपी के प्रदेश अध्यक्ष थे और भाजपा 312 सीटें जीतने में कामयाब रही और इसका सबसे बड़ा कारण ओबीसी वोट बैंक का श्रीमौर्य के पक्ष में खडा होना था। जिसके कारण 2014 से लेकर 2019 तक भाजपा को यूपी में बड़ी जीत मिली थी।
बताते चलें कि केशव प्रसाद मौर्य का ट्वीट छह दिसंबर से पहले आया है। वहीं मथुरा में भी हिंदू संगठनों ने जलाभिषेक करने और कार्यक्रम करने का फैसला किया है। लिहाजा माना जा रहा है कि श्रीमौर्य का ये बयान भाजपा की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि चुनावी माहौल में राज्य में सभी नेता मंदिरों के चक्कर काट रहे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंदिर-मंदिर जाना शुरू कर दिया है तो बीएसपी ने भी अयोध्या में प्रबुद्ध सम्मेलन कराया है। वहीं अखिलेश यादव भी कई मंदिरों के दर्शन कर चुके हैं, जबकि आम आदमी पार्टी के संरक्षक अरविंद केजरीवाल भी रामलला के दर्शन कर चुके हैं।