2004 से काबिज किसानों को एसडीएम तिर्वा ने नोटिस देकर बताया अवैध कब्जेदार
ऊसर सुधार निगम, बैंको के कर्ज और किसान सम्मान निधि को भी फर्जी बताया गया
बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) तिर्वा प्रशासन द्वारा मदनापुर ग्राम पंचायत के मजरा उमरन में 279 पट्टेदारों को अवैध पट्टेदार घोषित करते हुए तिर्वा के एसडीएम उमाकांत तिवारी द्वारा दिया गया नोटिस अब प्रशासन के गले की फांस बनता जा रहा है तहसील से निराश होने के बाद लगातार दूसरे दिन ये ग्रामीण विरोध प्रदर्शन करने कलेक्ट्रेट पहुंचे। आज जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने धैर्य पूर्वक उनकी बात सुनी और एसडीएम तिर्वा को जरूरी निर्देश दिए।
मामला काफी पुराना है। तीन दिसम्बर 2003 को तत्कालीन प्रधान सोनेलाल ने ग्राम पंचायत की खुली बैठक में गांव के 279 गरीब परिवारो को ग्राम पंचायत की ऊसर भूमि पट्टे पर देने का प्रस्ताव किया था। इस प्रस्ताव को तत्कालीन तहसीलदार तिर्वा डीडी वर्मा ने 17 फरवरी 2004 को अपना अनुमोदन दे दिया। अनुमोदन के बाद किसानों को इस भूमि पर कब्जा भी दिला दिया गया। इसके बाद ऊसर सुधार निगम की तत्कालीन कन्नौज इकाई ने इस परियोजना को अपने हाथ मे लिया और यहाँ जिप्सम खाद का प्रयोग कर इसे उपजाऊ बनाने में किसानों की मदद की। उसने समितियां बनाकर प्रति पांच परिवार खेतो की मेड़बंदी, लेबिलिंग और नाला निर्माण के अलावा यहां बड़ी संख्या में बोरिंग भी करवाई। आज यह जमीन उपजाऊ हो चुकी है तो तहसील प्रशासन इन मेहनतकश किसानों को उजाड़ने पर आमादा है।
इस प्रस्ताव के समय गांव के उप प्रधान और बाद में लगातार दो बार प्रधान रहे सिपाही लाल भी डीएम से आज मिलने वाले प्रतिनिधि मंडल में शामिल थे।
उनके मुताबिक पट्टो के नियमितीकरण के बाद वर्ष1406-1411 फसली में खाता संख्या 412 में इन सभी 279 किसानों का उल्लेख दर्ज है। इस मामले का “प.क. 11 भाग-2” और “57 ख” विधिवत तहसील के भूलेख कार्यालय में मौजूद है।इन कागजात के जमा कराए जाने की रसीद और हस्तनिर्मित खतौनी भी ग्रामीणों के पास उपलब्ध है। ऐसे में तहसील में पत्रावली का गायब बताये जाने और पट्टो को अवैध घोषित किये जाने के लिए इन किसानों को दोषी ठहराया जाना कहा तक उचित है यह तो तिर्वा का तहसील प्रशासन और एसडीएम ही जाने जिनकी तहसील इन किसानो को लगातार वर्षो से कंप्यूटर निर्मित खतौनी जारी करती आ रही है और कड़े सत्यापन के बाद यह सभी किसान, भारत सरकार की फ्लेगशिप योजना किसान सम्मान निधि का लाभ लेते आ रहे है।
और तो और कई दर्जन किसान इन्ही अभिलेखों के आधार पर किसान क्रेडिट कार्ड और बैंकों से दूसरे तरह के ऋण प्राप्त करते रहे हैं।
अचानक एसडीएम न्यायालय से इन लोगों को नोटिस जारी हुए और 19 दिसम्बर 22 को न्यायालय में उपस्थित होकर इसमें आवंटित पट्टे की भूमि के कागजात दिखाने अन्यथा जमीन खाली करने का कहा गया।
इससे आक्रोशित होकर ग्रामीण हाथों में नोटिस थामकर तहसील पहुंचे और यहां जमकर प्रदर्शन किया किन्त ग्रामीणों के मुताबिक एसडीएम ने इन किसानों से मिलने से इनकार कर दिया और अपने आवास पर विश्राम करने चले गए। इस व्यवहार से आहत किसान कन्नौज कलेक्ट्रेट पहुंचे किन्तु डीएम की व्यस्तता के कारण मुलाकात नही हो सकी। इन किसानों को आज पुनः बुलाया गया था।
जिलाधिकारी ने धैर्यपूर्वक इन किसानों की बात सुनी, कागजात देखे और एसडीएम तिर्वा से बात की। डीएम ने कहा है उपलब्ध कागजातों का सत्यापन कराने के बाद यदि जरूरी हो तो तत्कालीन तहसीलदार, लेखपाल और प्रधान इत्यादि को बुलाकर उनके बयान दर्ज करा लिए जाएं किन्तु कोशिश ये हो कि किसानों का किसी भी दशा में उत्पीडन न होने पाए।