बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यरो) जिले के किसानों का मोह आलू फसल के लिए बढ़ता ही जा रहा है। खेती में सात सालों में 50 हजार बीघे (चार हजार हेक्टेयर) क्षेत्रफल जिले में बढ़ गया है, हालांकि बीच-बीच में रकबा बढ़ने और घटने का भी क्रम चला। वर्ष 2015-16 में 48,500 हेक्टेयर क्षेत्रफल था, जो इस बार 52 हजार पार कर गया है।
आलू पट्टी के नाम से मशहूर कन्नौज जिले में करीब 52,500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की फसल होती है। इस रकबे में पैदावार भी करीब 14,25000 मीट्रिक टन होने का अनुमान है हालांकि कभी-कभी तो किसानों को आलू में लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है। फसल अधिक होने व गैर प्रांतों में आपूर्ति न हो पाने की वजह से आलू का रेट कम मिलता है। इस बार बारिश की वजह से अगेती आलू की फसल कई बार खराब हुई, जिस वजह से बीज की मांग किसानों ने हर बार की। दूसरी ओर नई फसल देरी से होने के कारण पुराने आलू का रेट किसानों को ठीक मिला। हालांकि जिले में गेहूं व मक्का की फसल भी काफी होती है। यह तीन फसलें अधिक होती हैं।
जिला उद्यान अधिकारी सीपी अवस्थी ने बताया कि जिले में करीब 52 हजार हेक्टेयर रकबे में आलू फसल होने का अनुमान है। किसानों को जब रेट अधिक मिलता है तो वह अधिक क्षेत्रफल में आलू करता है। जब दाम सही नहीं मिलते हैं तो आलू का रकबा घट जाता है। जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल आलू किसानों की आय बढ़ाने को लेकर लगातार काम कर रहे है। बीते वर्ष आलू अनुसन्धान केंद्र के वैज्ञानिकों और कृषि उत्पादन आयुक्त की मौजूदगी में जिले में एक आलू मीट का आयोजन हुआ जिसमें बेहतर किस्म के आलू के उत्पादन और उससे होने वाले लाभ पर भी चर्चा हुई। इस वर्ष जनवरी के अंत मे कुछ किसानों को हिमाचल प्रदेश भेज कर उन्हें आलू प्रसंस्करण, उत्तम किस्म का बीज तैयार करने आदि को लेकर प्रशिक्षण दिलाये जाने की योजना पर भी काम चल रहा है।