16 दलों के विपक्षी सांसदों को 2000 पुलिसकर्मियों ने बीच रास्ते में रोका,ज्ञापन देने जा रहे थे ईडी दफ्तर

नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों की ओर से विरोध-प्रदर्शन जारी है। इस मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग करते हुए करीब 16 दलों के विपक्षी सांसदों ने संसद भवन से प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर तक मार्च करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक लिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाते हुए कहा कि 200 सांसदों को रोकने के लिए 2000 पुलिसकर्मियों को लगाया गया।
विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को ही आगे बढ़ने की इजाजत
दिल्ली पुलिस ने हालांकि बाद में विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को ही आगे बढ़ने की इजाजत दे दी और बाकी सांसद वापस लौट गए। विपक्षी सांसदों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय जांच एजेंसी के ऑफिस के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी थी। इस प्रदर्शन में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुई थी। खरगे ने कहा, “हम अडानी समूह के घोटाले के मामले में ज्ञापन देने के लिए ईडी निदेशक से मिलने जा रहे थे, लेकिन सरकार ने हमें रोक लिया और विजय चौक तक भी जाने नहीं दिया।” वहीं राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह तानाशाही सरकार है और यह विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है।
अडानी समूह के खिलाफ तीन पेज का एक ज्ञापन
प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने अडानी समूह के खिलाफ तीन पेज का एक ज्ञापन तैयार किया है जिसमें शेल कंपनियों समेत कई आरोप लगाए गए हैं। हालांकि तृणमूल कांग्रेस विपक्षी दलों के इस मार्च का हिस्सा नहीं बन सकी क्योंकि उसके सांसदों ने घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतों में वृद्धि को लेकर संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि आज विपक्ष के सांसदों ने सदन से ईडी ऑफिस तक पैदल मार्च निकाल कर अडानी महाघोटाले के खिलाफ आवाज बुलंद की। विपक्ष की मांग है कि अडानी महाघोटाले की जांच कराई जाए। इसी मसले पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “सरकार जानती है कि अगर उन्होंने हमारी जेपीसी की मांग को मान लिया तो जनता के सामने उनकी धज्जियां उड़ जाएगी।”
खरगे ने बोला नरेन्द्र मोदी पर हमला
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए खरगे ने कहा, “हम अडानी मामले में ज्ञापन सौंपने के लिए ईडी जा रहे हैं लेकिन सरकार हमको विजय चौक के पास भी नहीं जाने दे रही। जो लोग अपने पैसे सरकार के विश्वास के साथ बैंक में रखते हैं वही पैसे सरकार एक व्यक्ति को सरकार की संपत्ति खरीदने के लिए दे रही है। उन्होंने आगे कहा, “मोदी ऐसे लोगों को प्रोत्साहन दे रहे हैं। जिस व्यक्ति ने 1650 करोड़ रुपए से अपना करियर की शुरुआत की और अब उसके पास 13 लाख करोड़ की संपत्ति है तो हम चाहते हैं कि इसकी जांच हो। प्रधानमंत्री और अडानी का क्या रिश्ता है
जांच एजेंसी को एक शिकायत सौंपने का निर्णय
इससे पहले कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने अडानी समूह से जुड़े मामले को लेकर बुधवार को संसद भवन से प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय तक मार्च निकालने और जांच एजेंसी को एक शिकायत सौंपने का निर्णय लिया था। मल्लिकार्जुन खरगे के संसद भवन परिसर स्थित कार्यालय में कई विपक्षी दलों के नेताओं ने अडानी मुद्दे पर अपनी संयुक्त रणनीति में समन्वय के लिए एक बैठक की। अमेरिकी वित्तीय शोध संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से ही अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमलावर विपक्षी दलों के सदस्यों की मांग है कि इस मुद्दे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाए।
कई तरह के गंभीर आरोप
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह पर फर्जी तरीके से लेन-देन करने और शेयर की कीमतों में हेर-फेर समेत कई तरह के गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि अडानी समूह ने इन आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा था कि कंपनी ने सभी कानूनों और प्रावधानों का पालन किया।

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