कौशल के नाम पर ढिंढोरा पीटती सरकार की सच्चाई है बेहद डरावनी. सिस्टम के साथ खिलवाड़ कर मेरिट से भर्ती हुए अध्यापकों की स्थिति है बेहद चिंतनीय. 18000 से 20000 की नौकरी के लिए पोस्ट ग्रेजुएट और एचटेट पास उच्च शिक्षित युवा हुए बेघर। घर से सैंकड़ों किलोमीटर दूर नौकरी पर भेजे। निगम ट्रांसफर के नाम पर एप्लीकेशन एकत्रित कर रहा बस, करता कुछ नहीं। पिछले तीन माह से तनख्वाह का एक भी पैसा नहीं आया। किरायेदार घर से निकाल रहे। मानसिक रोगों का शिकार हो रहे। भविष्य में पक्की नौकरी पर मुख्यमंत्री की ना। ऐसे में हरियाणा कौशल एक ड्रामा और समय की खपत नहीं तो और और क्या ?
-प्रियंका सौरभ
जी हाँ, हरियाणा सरकार की चर्चित योजना हरियाणा कौशल के तहत भर्ती किए गए कर्मचारी बिलकुल ना खुश है। एक तरफ जहां सरकार हरियाणा कौशल के तहत भर्ती को अपनी कामयाबी का सबसे महत्वपूर्ण माइलस्टोन मानती है वही इस निगम के तहत भर्ती किए गए कर्मचारी चाहे किसी भी विभाग में हो आज के दिन तरह-तरह की चुनौतियों से जुझ रहे हैं। हम बात करते हैं हाल ही में हरियाणा के स्कूल शिक्षा विभाग में हरियाणा कौशल के तहत भर्ती किए गए अध्यापको की और इन अध्यापकों में भी खासकर महिला अध्यापकों की जिनकी समस्याएं आज सबसे ज्यादा है।
हाल ही में हरियाणा सरकार ने हजारों की संख्यां में हरियाणा कौशल के तहत राज्य के सरकारी स्कूलों में पीजीटी और टीजीटी अध्यापकों की भर्ती की है। सरकार इस भर्ती के लिए अखबारों की सुर्ख़ियों में रही कि हमने योग्यता के आधार पर राज्य के गरीब युवाओं को नौकरी देकर एक अनुपम कार्य किया है। मगर इन अध्यापकों को भर्ती हुए आज चार से पांच महीने होने को है। मगर अभी तक इनके खाते में ₹1 भी नहीं आया। वेतन की बात तो दूर इन नए अध्यापकों को घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्कूल स्टेशन दिए गए। कही-कहीं तो ऐसे स्कूल स्टेशन दिए गए जहां पहुंचना जंगल में रास्ता खोजने से कम नहीं है।
यातायात की कमी के चलते अध्यापकों को स्कूल तक पहुंचने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। मेरे इस प्रश्न के जवाब में सरकार के नुमाएंदे यह भी कहेंगे कि क्यों ये अध्यापक वहीँ रहकर अपनी ड्यूटी क्यों नहीं करते तो जनाब इसका सीधा सा उत्तर है कि 15000 से 20000 की नौकरी करने वाला कोई भी व्यक्ति परिवार सहित इस मंहगाई के जमाने में कैसे किराए के घर पर रहेगा और अपने दैनिक कार्यों को इस छोटी सी तंखवाह से पूरा कर पाएगा। यह काफी सोचनीय विषय है और ये समस्या महिला अध्यापकों के लिए तो सौ गुना बढ़ जाती है।
क्योंकि महिलाओं को अपने अलावा अपने बच्चों के साथ-साथ सास-ससुर सहित पूरे परिवार की देखभाल भी करनी होती है। सैकड़ों किलोमीटर दूर स्टेशन देने के कारण ये महिला अध्यापिकाऐं रोजाना सफर नहीं कर सकती और न ही कम तंखवाह के चलते अपने ड्यूटी स्टेशन पर अपना नया घर बसा सकती है और आज के दिन तो घर बसे भी कैसे? पिछले तीन महिनों की नौकरी में खाते में ₹1 भी नहीं आया है। इतने दिन अपनी जेब से या घरवालों से उधार ही लेकर काम चल रहा है यही नहीं सैंकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करने में महिलाओं को काफी शाररिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है जैसे जो महिलाएं इस समय गर्भवती है उनको दोहरे कर्तव्य निभाने पड़ रहे हैं. एक तरफ तो उनको खुद को देखभाल की जरूरत है तो दूसरी तरफ अपनी ड्यूटी की चिंता है।
ऐसे में हरियाणा कौशल राज्य के युवाओं के लिए नौकरी के मामले में गले की फांस बन गया है। एक तरफ जहां कौशल में नाम आने पर युवाओं को नौकरी की खुशी होती है तो दूसरी तरफ ज्वाइनिंग के पहले दिन भविष्य का गम सताने लग जाता है। राज्य के मुखिया मनोहर लाल खट्टर हरियाणा की विधानसभा में कह चुके हैं कि कौशल के तहत भर्ती किए गए कर्मचारी कच्चे हैं और जब इन पदों पर नियमित कर्मचारी आ जाएंगे तो उनको हटा दिया जाएगा। ऐसे में युवा नौकरी करें तो कैसे करें?
बेरोजगारी का आलम यह है कि इनको पेट के लिए यह नौकरी करनी पड़ रही है। राज्य के शिक्षित युवा आज दर-बदर की ठोकर खा रहे हैं। सरकार उनके लिए कोई कदम नहीं उठा रही। अगर उठाती है तो कौशल के नाम पर उल्लू बनाती है। अगर हम कौशल के तहत भर्ती किए गए अध्यापकों के स्थानान्तरण के मामले को सोचे तो स्कूल शिक्षा विभाग से लेकर हरियाणा कौशल के महाप्रबंधक तक को इस बात का पता नहीं है कि इस मामले में आखिरी क्या होगा? ऐसे में स्थानान्तरण की अर्जी लेकर राज्य के हज़ारों अध्यापक किस दरवाजे पर जाएँ? महिला अध्यापकों की अति संवेदनशील समस्या को अब कौन सुने? समस्या को कैसे सुलझाया जाए? यह एक गंभीर चिंतन का विषय है।
हरियाणा सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग को इस मामले को प्राथमिक तौर पर देखना चाहिए। नए अध्यापकों खासकर महिला अध्यापकों को प्राथमिकता के आधार पर नजदीकी स्टेशन पर तैनात किया जाये और उनका कार्यकाल निर्धारित किया जाए। ताकि मध्यांतर में उनको बेवजह मानसिक दबाव का सामना खासकर स्टेशन को लेकर न करना पड़े और यही नहीं हरियाणा सरकार को कौशल के तहत भर्ती किए गए अध्यापकों के वेतन बारे में ठोस कदम उठाने होंगे। अभी तक इनके खाते में ₹1 भी आखिरी क्यों नहीं पहुंचा? इनके मासिक वेतन की तारीख फिक्स की जाए और समय पर तनख्वाह डाली जाए। इसके अलावा स्कूल शिक्षा विभाग कौशल कर्मचारियों/अध्यापकों की समस्याओं को नियमित कर्मचारियों की समस्याओं की तरह ही देखें और इन पर तुरंत संज्ञान लें।
तभी इन अध्यापकों के अलावा हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था का भला होगा और यह नए भर्ती किए योग्य/उच्च शिक्षित अध्यापक अपने मानसिक दबाव को एक तरफ रख कर बच्चों के सर्वागीण विकास में अपना शत प्रतिशत योगदान दे सकेंगे।