‘‘दलित वोटबैंक के साथ सामाजिक समीकरण का रखा ध्यान, मंच पर बसपा से आए नेताओं को मिली तवज्जो’’
लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रायबरेली की जनसभा में दलित वोटबैंक के साथ सामाजिक समीकरण का भी ध्यान रखा। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य और मुख्य सचेतक मनोज पांडेय भले एक-दूसरे के कार्यक्रम में नहीं पहुंचे लेकिन अखिलेश यादव ने दोनों को बराबर तवज्जो दी।
मान्यवर कांशीराम महाविद्यालय में जनसभा में सपा अध्यक्ष ने सपा-बसपा गठबंधन की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि कन्नौज चुनाव के दौरान गलियों में एक नारा लगा था। वह लोगों को भूला नहीं है। उन्होंने कहा कि असली नारा जय श्रीराम का नहीं बल्कि जय सियाराम का है। गठबंधन में नारा लगा था कि हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा विष्णु महेश हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि हम किसी बहस में नहीं पड़ना चाहते हैं। बसपा ने नारा दिया था कि इनको मारो… लेकिन हम इस तरह के बहस में नहीं पड़ना चाहते हैं। हम सभी को एक साथ जोड़ने के अभियान में जुटे हैं।
सपा अध्यक्ष ने पढ़ाई का जिक्र करते हुए चुटकी ली कि दिल्ली वाले ज्यादा पढ़े-लिखे हैं अथवा यूपी वाले। यदि यूपी वाले ज्यादा पढ़े-लिखे होते तो यह नहीं कहते कि 46 में 56 एक ही जाति के एसडीएम थे। हमने सूची मांगी और अब नहीं दे रहे हैं।
मान्यवर कांशीराम महाविद्यालय में आयोजित जनसभा में पूरी तरह से बसपा की छाप दिखी। मंच के पीछे लगे बैनर पर एक तरफ कांशीराम की बड़ी तस्वीर थी तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य की। ऊपरी हिस्से में डॉ. अंबेडकर और लोहिया की तस्वीर लगाई गई। इतना ही नहीं, मंच पर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और जिलाध्यक्ष वीरेंद्र यादव को छोड़कर ज्यादातर बसपा पृष्ठभूमि से निकलने वाले नेताओं को ही जगह दी गई। पांडाल में सपा के झंडे बैनर के साथ ही पंचशील का झंडा लहराता रहा।
मंच से लगातार मान्यवर कांशीराम और मुलायम सिंह अमर रहे के नारे लगते रहे। कांशीराम से जुड़े संस्मरण सुनाए गए तो गीतों में बाबा साहब और कांशीराम का गुणगान भी किया गया। स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव को संविधान की प्रति और कांशीराम के भाषण का संग्रह भेंट करते हुए कहा कि अब कांशीराम के मिशन को आगे बढ़ाने का संकल्प अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही पूरा हो सकता है।
सपा अध्यक्ष ने भी उनके सुर में सुर मिलाया और लोगों को भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि 1993 से पहले के हालात पैदा हो गए हैं। उस वक्त कांशीराम और मुलायम सिंह ने भाजपा को रोका था।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज ने बसपा से साइकिल पर सवार होने वाले नेताओं का नाम गिनाते हुए कहा कि अब वहां से सभी नेता सपा में आ गए हैं। इसलिए कांशीराम के मिशन को सपा ही पूरा करेगी। उन्होंने लोहिया द्वारा अंबेडकर को लिखे गए पत्रों का जिक्र करते हुए दलितों को साथ आने का आह्वान किया। कांशीराम की मूर्ति अनावरण समारोह के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य के पिता बदलू राम मौर्य की मूर्ति का भी अनावरण किया गया।
उन्होंने जगतपुरा ब्लॉक के टिकट्ठा मुसल्लेपुर में ऊंचाहार विधायक डॉ. मनोज पांडेय की ओर से आयोजित स्वागत समारोह में लोकतंत्र बचाने की अपील की। कहा कि वर्ष 2024 में भाजपा आई तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार बेरोजगारी के मुद्दे पर टकरा रही है। उन्होंने गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि बसपा और कांग्रेस से गठबंधन किया लेकिन अनुभव ठीक नहीं रहा।
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