मिला आशा का साथ, एनआरसी में हुआ नन्हीं सी दुर्गा का इलाज

कुपोषण को मात देकर फिर खिलखिलाया बचपन

अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक में 115 बच्चों ने जीती कुपोषण से जंग

फर्रुखाबाद। (आवाज न्यूज ब्यूरो) जनपद में बच्चों और महिलाओं के कदम कुपोषण को हराने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। शारीरिक रूप से कमजोर और कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का नतीजा साफ दिख रहा है। बढपुर ब्लॉक के ग्राम खानपुर की रहने वाली 10 माह की दुर्गा है तो छोटी लेकिन उसने जंग बड़ी जीती है। उसकी यह जंग कुपोषण से थी।

पिछले माह आशा मंजू देवी माता रूबी के साथ दुर्गा को डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला की ओपीडी में दिखाने आई l उस समय दुर्गा को दस्त हो रहे थे और बुखार भी आ रहा था । बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शिवाशीष उपाध्याय ने जब जाँच की तब पता चला कि नन्हीं सी दुर्गा कुपोषण का शिकार है। वहां से उसे पोषण पुनर्वास केंद्र में भेज कर भर्ती कर लिया गया। भर्ती के समय उसका वजन 5 किलो 565 ग्राम था। जबकि 9 मई को डिस्चार्ज के समय बच्चे का वजन 6 किलो 515 ग्राम हो गयाl
दुर्गा के पिता अखिलेश बताते हैं कि मैं रिक्शा चलाता हूं। कई अस्पताल के चक्कर काटने के बाद एक दिन मेरे घर आशा मंजू देवी आईं उन्होंने बच्ची को देखा और कहा कि चलो लोहिया अस्पताल में डॉक्टर को दिखा दें। मुझे सरकारी दवा पर विश्वास नहीं था लेकिन निजी चिकित्सकों से भी कोई आराम नहीं मिलने पर मैंने अपनी पत्नी को आशा के साथ भेज दिया। वहां मेरी बिटिया को भर्ती कर लिया। बिटिया अब स्वस्थ है। अखिलेश कहते हैं कि पूरे स्टॉफ ने मेरी बिटिया की जान बचा ली। साथ ही बच्चे को 14 दिन एनआरसी में भर्ती के दौरान प्रतिदिन ₹50 दैनिक भत्ता और भोजन भी मिला। बच्चे के प्रत्येक चार बार फॉलोअप के लिए एनआरसी आने पर ₹150 की प्रतिपूर्ति राशि भी प्रदान की जाएगी। उन्होंने सभी से अपील की है की डॉ राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय के पोषण पुनर्वास केंद्र में सभी सुविधाएं निशुल्क हैं। यदि बच्चा अतिकुपोषित हो तो समय रहते ही उसे अवश्य भर्ती करवाएं।

पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ विवेक सक्सेना का कहना है कि बच्चा बीमार हो, लगातार दस्त हो, त्वचा खिची हो आंखों में गड्ढे, और कमजोर दिखे तो देर न करें उसे फौरन सरकारी अस्पताल में दिखाएं l उन्होंन बताया कि बच्चों को कुपोषण से निकालने में आहार परामर्शदाता संगीता, स्टॉफ नर्स रीना, सौरभ और आलोक का बहुत बड़ा योगदान होता है l डॉ विवेक ने बताया कि एनआरसी में 10 बेड है साथ ही बच्चों के खेलने के लिए खिलौने भी हैं। यहां पर पहले बच्चों का एपेटाइट टेस्ट (भूख की जांच) की जाती है, फिर वार्ड में भर्ती किया जाता है। इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 21 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, F-75 और F-100 यानी प्रारम्भिक दूधाहार, दलिया, हलवा आदि साथ में दवाइयां और सूक्ष्म पोषण तत्व जैसे आयरन, विटामिन-ए, जिंक, मल्टी विटामिंस आदि भी दिया जाता है।

पोषण पुनर्वास केंद्र में आहार परामर्शदाता संगीता ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष 2022 23 में 125 भर्ती किए गए जिसमें से 115 बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर चले गए और 10 बच्चों को रेफर किए गया l अभी इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से अब तक 24 बच्चे भर्ती किए गए हैं l

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