लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को सरकार से महिला आरक्षण विधेयक को जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया से अलग करने का आग्रह किया, क्योंकि ऐसा नहीं होने पर इसके क्रियान्वयन में कई वर्षों तक देरी होगी। मायावती ने इसके साथ ही भाजपा और कांग्रेस पर विधेयक का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए करने का आरोप लगाया।
बसपा संप्रीमो मायावती पहले ही कह चुकी हैं कि उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन करेगी, भले ही उसकी मांगें पूरी न हो। उन्होंने सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ खंडों को हटाने का आग्रह किया कि मसौदा कानून तुरंत लागू हो जाए। उन्होंने कहा कि विधेयक के कुछ प्रावधानों को इस तरह से तैयार किया गया है कि आरक्षण का लाभ अगले 15 या 16 वर्षों तक या बाद के कई चुनावों तक महिलाओं तक नहीं पहुंच पाएगा। उन्होंने कहा कि विधेयक के ये खंड साबित करते हैं कि सरकार महिलाओं को आरक्षण देने के इरादे से नहीं बल्कि आगामी चुनाव में उनके वोट पाने के इरादे से विधेयक ला रही है।
बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी अब केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) महिलाओं के लिए आरक्षण की वकालत कर रही है, जिसने अपने नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा लाए गए विधेयक में उन्हें नजरअंदाज किया। सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया।
मायावती ने कहा, ‘‘यह विधेयक पारित तो हो जाएगा लेकिन तुरंत लागू नहीं होगा। इस संशोधन विधेयक के तहत इस महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद पहले पूरे देश में जनगणना करायी जाएगी। जब यह जनगणना पूरी हो जाएगी तो उसके पश्चात ही पूरे देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का परिसीमन पूरा कराया जाएगा। उसके बाद ही महिला आरक्षण संबंधी संशोधन विधेयक लागू होगा।’’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसका मतलब है कि इसे तुरंत लागू नहीं किया जाएगा।’’उन्होंने कहा कि यह बात किसी से छिपी नहीं हैं कि देश भर में नये सिरे से जनगणना कराने में अनेकों वर्ष लग जाते हैं। पिछली जनगणना वर्ष 2011 में प्रकाशित हुई थी। जिसके पश्चात आज तक पुनः जनगणना नहीं हो सकी। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में संविधान संशोधन के तहत इस नयी जनगणना में अनेकों वर्ष लग जायेंगे। तब फिर उसके बाद ही पूरे देश में परिसीमन का कार्य शुरू किया जाएगा, जिसमें भी अनेकों वर्ष लग जायेंगे। इस परिसीमन के पश्चात ही यह महिला आरक्षण विधेयक लागू होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि यह संशोधन विधेयक वास्तव में महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नियत से नहीं लाया गया हैं। बल्कि यह विधेयक आने वाली विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में देश की भोली भाली महिलाओं को यह प्रलोभन देकर और उनकी आंखों में धूल झोंक कर उनका वोट हासिल करने की नियत से ही लाया गया है। इसके सिवा कुछ भी नहीं है। जैसा कि इसे लागू करने की शर्ते रखी गयी है।’’मायावती ने कहा, ‘‘यदि ऐसा नहीं है तो फिर हमारी पार्टी सरकार से यह भी अनुरोध करती है कि सरकार इस विधेयक में से या तो इन दोनों प्रावधानों को निकाले या फिर कुछ ऐसे उपाय तलाशे कि इस विधेयक के जरिये महिलाओं को आरक्षण का लाभ जल्द मिले।’’कोटा के भीतर कोटा की अपनी मांग पर जोर देते हुए, मायावती ने कहा, ‘‘मैं 33 प्रतिशत आरक्षण में अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिलाओं के लिए एक अलग कोटा की फिर से अपील करती हूं। इसी तरह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) महिलाओं का कोटा भी तय किया जाना चाहिए क्योंकि वे सामान्य वर्ग की महिलाओं की तुलना में अभी भी पिछड़ी हुई हैं।’’हालांकि, उन्होंने दोहराया कि उनकी पार्टी विधेयक को समर्थन देगी, भले ही इसकी शर्तें स्वीकार नहीं की गईं। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में पिछड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को दिए गए सभी अधिकार बी आर आंबेडकर के प्रयासों के कारण ‘हिंदू कोड बिल’ के माध्यम से आए हैं और उस समय भी, कांग्रेस सरकार ने इसे पूरी तरह से पारित नहीं होने दिया था और इसे चरणों में पारित कराया था। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्व में लाया गया विधेयक इसलिए पारित नहीं हो सका क्योंकि इसमें इन वर्गों के लिए अलग कोटे का प्रावधान नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अब अपने राजनीतिक फायदे के लिए इन वर्गों की महिलाओं के लिए अलग कोटा की वकालत कर रही है। उन्होंने कहा कि देश की महिलाओं को ऐसी पार्टियों से सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि उनसे उन्हें कुछ नहीं मिलेगा।
सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला एक संवैधानिक संशोधन विधेयक मंगलवार को संसद के निचले सदन में पेश किया। इसे ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ कहा गया है। हालांकि, विधेयक के प्रावधानों में कहा गया है कि परिसीमन कवायद या निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण और जनगणना के बाद ही आरक्षण लागू होगा।