बसपा सुप्रीमो मायावती की राह चले अखिलेश : ‘इंडिया’ गठबंधन से दूर होती समाजवादी पार्टी!

लखनऊ। (आवाज न्यूज ब्यूरो) आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन को हराने के लिए देश की बड़ी और छोटी विपक्षी पार्टियों ने मिलकर ‘इंडिया’ गठबंधन बनाया था। इस गठबंधन से बसपा सुप्रीमो मायावती ने किनारा कर लिया था,संम्भव है कि उनकी कुछ मजबूरियां भी रही हांेगी। हालांकि अब उनकी राह पर अखिलेश यादव भी चलते दिखाई दे रहे हैं। फिलहाल विपक्ष का बनाया हुआ ‘इंडिया’ गठबंधन लोकसभा चुनाव से 6 महीने पहले ही एकजुट होने के बजाय बिखरता हुआ दिखाई दे रहा है। ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा पिछले दिनों लिए गए निर्णय को अब समाजवादी पार्टी ने नहीं मानने का फैसला किया है।
‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा बहिष्कार किए गए 14 न्यूज एंकर को अब समाजवादी पार्टी ने मानने से इनकार करते हुए सभी न्यूज़ चैनलों पर सभी न्यूज़ एंकर के साथ अपने प्रवक्ताओं को भेजने का फैसला लिया है, जिससे समाजवादी पार्टी का पक्ष हर वक्त न्यूज़ चैनलों पर आ सके, जिसे लेकर आशंका जताई जा रही है कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सपा और कांग्रेस के बीच अनबन अब ‘इंडिया’ गठबंधन में तकरार की वजह बन रही है।
पिछले दिनों विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए ‘इंडिया’ गठबंधन के संबंध में बनी समन्वय समिति ने 14 टीवी न्यूज़ एंकरों के बहिष्कार का निर्णय लिया था। समन्वय समिति की एक बैठक में 13 सितंबर को यह फैसला लिया गया था। इस निर्णय के बाद अखिलेश यादव ने खुद एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था ‘‘उन खबर नवीसों से रहना खबरदार, जो बन बैठे हैं हुक्मरानों के वफादार।’’ इस पोस्ट से और ‘इंडिया’ गठबंधन के समन्वय समिति की बैठक के निर्णय से साफ हो गया था कि समाजवादी पार्टी ‘इंडिया’ गठबंधन के फैसले का स्वागत करती है और जिन न्यूज एंकरों के कार्यक्रम में नहीं जाने की बात समन्वय समिति ने तय की थी उसको समाजवादी पार्टी भी मानेगी।
समाजवादी पार्टी ने अपना पुराना निर्णय और ‘इंडिया’ गठबंधन का निर्णय अब पलट दिया है। अब समाजवादी पार्टी सभी न्यूज़ चैनलों पर सभी न्यूज़ एंकरों के साथ अपना पक्ष रखने के लिए जाएगी। समाजवादी पार्टी ने अपना निर्णय पलटते हुए कहा कि उनका किसी भी चैनल के किसी भी एंकर से कोई विवाद नहीं है और हम सभी जगह अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में सीट शेयरिंग पर सहमति न बन पाने के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने 50 से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए इसके बाद से अलग-अलग मंचों पर वाद विवाद भी हुआ। इसी को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने अपना रास्ता अलग कर लिया है।

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