फर्रुखाबाद। (आवाज न्यूज ब्यूरो) मान्यवर कांशीराम राजकीय महाविद्यालय निनौआ, फर्रुखाबाद की प्राचार्य डॉ० शालिनी के संरक्षण में सांस्कृतिक एवं साहित्यिक परिषद प्रभारी डॉ० सुन्दर लाल के निर्देशन में बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ० भीमराव आंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस पर पुष्पांजलि सभा आयोजित कर भाषण एवं व्याख्यान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। बाबा साहेब डॉ., भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि दिए जाने हेतु पुष्पांजलि सभा का आयोजन कर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करने किए गए। कार्यक्रम के प्रारंभ में छात्र आदित्य रंजन शाक्य ने बाबा साहब पर अपने विचार रखें साथ ही छात्रा शिखा ने कविता के माध्यम से अपने भाव बाबा साहब के प्रति व्यक्त किए तदुपरांत मुख्य अतिथि प्रो अनुपम अवस्थी ने सभी छात्र छात्राओं को बताया कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने समाज में बहुत ही असमानताओं एवं कुरीतियों का सामना किया किंतु अब समय आ गया है कि उनके द्वारा सुझाए गए मार्ग पर चल कर ही हम विश्व गुरु बनने का स्वप्न देख सकते हैं। अतः हम सबको उनके विचारों एवं सिध्दांतों का पालन करना चाहिए। डॉ० सुन्दर लाल ने सभी आगंतुकों और छात्र/छात्राओं को संबोधित करते हुए भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि बाबा साहेब एक राष्ट्रवादी विचारधारा के महापुरुष थे, उन्होंने इस देश की प्रगति के लिए अथक प्रयास किए। अतः हम सबको बाबा साहेब द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतो और मूल्यों पर चलने के लिए संकल्प लेना होगा। हम सबको बाबा साहेब का दर्शन जोकि जाति आधारित भेदभाव के विरुद्ध लड़ाई लड़ते हुए सामाजिक न्याय की प्रतिस्थापना, सशक्तिकरण के साधनों के रूप में शिक्षा पर विशेष जोर और समावेशी समतावादी समाज की स्थापना पर आधरित है, को हरसंभव कोशिश के साथ लागू करना ही होगा। तभी देश का विकाश संभव है। महाविद्यालय प्राचार्या डॉ० शालिनी ने सभी छात्र/छात्राओं को बताया, कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, वह अर्थशास्त्री, राजनीतिक और समाज सुधारक तो थे ही, साथ ही भारतीय संविधान के रचयिता होने के कारण उन्हें भारतीय संविधान का पिता भी कहा जाता है और हम सभी उन्हें बाबा साहब के सम्बोधन से पुकारते हैं। उनकी विद्वत्ता की वजह से ही उन्हें नॉलेज ऑफ सिंबल से भी पहचाना जाता हैं। बाबा साहब का निधन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली स्थित उनके निवास स्थान पर हुआ था। आज के दिन उनको याद करते हुए उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। हम सबको मिलकर उनके संघर्ष से शिक्षा लेनी चाहिए और उनके द्वारा सुझाए गए मार्ग पर चलकर निष्ठापूर्वक सच्चे अर्थों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए। इस अवसर पर महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापकों सहित छात्र सूर्यकांत, बबली, अमृता, गौरी, काजल, शिखा, प्रियांशी, अनामिका, पूजा, शिवानी, राज, अभिषेक, विनय, अभिषेक वर्मा, भूलनदेवी, कामिनी आदि राजेश, सुरेश किशन पाल आदि उपस्थित रहे।
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