नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) एमपी विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और कांग्रेस नेतृत्व के बीच पैदा हुई खटास को कम करने की कोशिश जारी है। एक ओर जहां सपा नेता अखिलेश यादव अपने बयानों से हालात को सामान्य करने में जुटे हैं तो वहीं कांग्रेस ने एक ऐसा फैसला किया है जिससे दोनों दलों के बीच खटास कम हो सकती है।
एमपी चुनाव के दौरान सीटों पर सामंजस्य और समन्वय न बन पाने की वजह से कांग्रेस और सपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इतना ही नहीं एमपी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कमलनाथ और अखिलेश यादव के बीच बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गई थी। यूपी कांग्रेस के नेताओं ने भी सपा और अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा था। उधर, एमपी में मिली हार के बाद कांग्रेस इस बात को लेकर सचेत हो गई कि ‘इंडिया’ गठबंधन के दलों के बीच समन्वय नहीं बना तो लोकसभा चुनाव में भी बात बिगड़ सकती है जिसका असर यूपी में भी सीट शेयरिंग पर पड़ सकता है। ऐसे में दोनों दलों के नेताओं ने एक दूसरे के प्रति बयानबाजियां कम कर दी हैं। इस बीच कांग्रेस ने कमलनाथ को एमपी कांग्रेस चीफ के पद से हटा दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस के इस फैसले से अखिलेश के मन की खटास और कम हो सकती है और सपा के साथ अब एमपी और यूपी,दोनों राज्यों में लोकसभा चुनाव के दौरान सकारात्मक मोर्चे पर वार्ता हो सकेगी। सपा, एमपी में भी कुछ सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना रही है। अखिलेश यादव समेत पार्टी के अन्य नेताओं ने बीते दिनों इस आशय के संकेत दिए हैं। वहीं यूपी में भी मन मुताबिक सीट पाने के लिए कांग्रेस जोर आजमाइश कर रही है। कांग्रेस की कोशिश है कि वह एमपी और यूपी में सपा के साथ सामंजस्य बिठाए ताकि विधानसभा चुनाव जैसी स्थिति पैदा न होने पाए और विपक्षी दलों को उनके गठबंधन पर कटाक्ष करने का मौका न मिले।
