नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) चंडीगढ़ मेयर चुनाव से जुड़े विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया है कि, मेयर चुनाव से संबंधित सभी मतपत्र और वीडियोग्राफी सहित अन्य मूल रिकॉर्ड पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को सौंपे जाएं। सर्वोच्च अदालत ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि, इस तरह से लोकतंत्र की हत्या की अनुमति नहीं दी जा सकती। साथ ही कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पार्षद कुलदीप ढलोर द्वारा दायर याचिका पर नोटिस भी जारी किया…
शीर्ष अदालत ने 7 फरवरी को होने वाली चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक को स्थगित करने का आदेश देते हुए कहा कि, यह लोकतंत्र का मजाक है। मालूम हो कि, सुप्रीम कोर्ट का ये बयान ऐसे समय में आया जब, पीठासीन अधिकारी द्वारा आठ विपक्षी वोटों को रद्द कर भाजपा के मेयर चुनाव जीतने पर विवाद जारी है। बता दें कि इससे कार्रवाई से वोट में गड़बड़ी के आरोप लगे थे।
गौरतलब है कि, मेयर पद के लिए सोनकर ने आप के कुलदीप कुमार को हराया, उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी के 12 के मुकाबले 16 वोट मिले। आठ वोट अवैध घोषित किए गए। इसके लिए रविवार को आप ने भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और मांग की थी कि पीठासीन अधिकारी को मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए गिरफ्तार किया जाए। पार्टी के चंडीगढ़ सह-प्रभारी सनी अहलूवालिया के नेतृत्व में आप पार्षद नगर निगम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। उन्होंने कहा, यह रिले भूख हड़ताल भाजपा के खिलाफ और हमारे लोकतंत्र को बचाने के लिए है। यह विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक कि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को गिरफ्तार नहीं किया जाता और फर्जी मेयर को हटा नहीं दिया जाता। बता दें कि, कांग्रेस और आप ने 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में अपने गठबंधन की आसान जीत की भविष्यवाणी की थी और इसे लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय विपक्षी गुट के लिए प्रारंभिक परीक्षा के रूप में पेश किया था।
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