नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच ने आदेश दिया है कि मेयर चुनाव में अमान्य किए गए 8 बैलेट पेपर मान्य माने जाएंगे। जिसके बाद आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को मेयर घोषित कर दिया गया।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को 12 वोट मिले थे। आठ मतों को गलत तरीके से अमान्य करार दे दिया गया। बाद में ये आठ वोट याचिकाकर्ता के पक्ष में पाए गए। इस तरह आठ मतों को जोड़ देने पर याचिकाकर्ता के 20 वोट हो जाते हैं। लिहाजा, आप पार्षद और याचिकाकर्ता कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ नगर निगम के महापौर पद पर निर्वाचित घोषित किया जाता है। पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा भाजपा प्रत्याशी को विजेता घोषित करने का फैसला अमान्य है। बेंच ने कहा कि पीठासीन अधिकारी ने पहले तो महापौर चुनाव की प्रक्रिया में गैरकानूनी तरीके से तब्दीली की। इसके बाद उन्होंने 19 फरवरी को इस अदालत के समक्ष झूठ कहा। इससे पहले अदालत ने 30 जनवरी को हुए मतदान के बैलेट पेपर की जांच की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप उम्मीदवार के पक्ष में डाले गए आठ वोटों पर अतिरिक्त निशान थे। कोर्ट ने कहा कि निशान लगे बैलेट पेपर गिने जाएंगे जिसके बाद विजेता का नाम घोषित होगा। वहीं कोर्ट की टिप्प्णी के बाद आम आदमी पार्टी में जश्न शुरू हो गया है।
चंडीगढ़ के मेयर बने कुलदीप कुमार ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देना चाहता हूं। यह चंडीगढ़ के लोगों और भारत गठबंधन की जीत है। इससे पता चलता है कि भाजपा अपराजेय नहीं है और अगर हम एकजुट रहें तो हम उन्हें हरा सकते हैं।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया है। वहीं चंडीगढ़ कांग्रेस ने भी कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई। फैसले को ऐतिहासिक और लोकतंत्र को बचाने वाला बताया गया।
मेयर चुनाव में अब तक क्या-क्या हुआ
10 जनवरी- यूटी प्रशासन ने 18 जनवरी को मेयर चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की
15 जनवरी- आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा को हराने के लिए गठबंधन की घोषणा की
16 जनवरी-आप और कांग्रेस के नामांकन पत्र वापस लेने पहुंचने के बाद नगर निगम कार्यालय में हाथापाई हुई। आधी रात को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ कांग्रेस प्रमुख एचएस लक्की की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें एक पार्षद को अवैध रूप से हिरासत में लेने का आरोप लगाया गया। हाईकोर्ट ने रिपोर्ट मांगी
17 जनवरी-हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी क्योंकि यूटी ने दावा किया कि पार्षद अवैध हिरासत में नहीं है और सुरक्षा उनकी मांग पर प्रदान की गई थी। हालांकि अदालत ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के निर्देश दिए।
18 जनवरी- मेयर चुनाव के लिए पहुंचने पर आप और कांग्रेस पार्षदों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन हुआ। पीठासीन अधिकारी के खराब स्वास्थ्य के कारण डीसी ने 6 फरवरी तक मतदान स्थगित किया। आप ने 24 घंटे के भीतर चुनाव की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।
23 जनवरी- हाईकोर्ट ने यूटी से 24 घंटे के भीतर अदालत में संभावित चुनाव की तारीख पेश करने को कहा, नहीं तो याचिका पर योग्यता के आधार पर फैसला करने की बात कही।
24 जनवरी-हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को फटकार लगाते हुए 30 जनवरी को सुबह 10 बजे मेयर चुनाव कराने का आदेश दिया।
30 जनवरी: मेयर चुनाव में भाजपा ने गठबंधन को हराया। मनोज सोनकर मेयर बने। आप ने पीठासीन अधिकारी पर आठ वोट को अमान्य करार किए जाने के आरोप लगाए और हाईकोर्ट का रुख किया।
31 जनवरी-चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए आम आदमी पार्टी ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया। फिलहाल तुरंत राहत नहीं मिली है। अदालत ने चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी किया है और तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।
5 फरवरी-आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। एससी ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की आलोचना की और कहा कि यह स्पष्ट है कि उसने बैलेट पेपरों को विकृत किया। यह लोकतंत्र का मजाक है। हत्या है। इस आदमी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। 19 फरवरी को सुनवाई तय की गई।
18 फरवरी- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले मनोज सोनकर ने मेयर पद इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में चले गए।
19 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट ने अनिल मसीह को फटकार लगाई। बैलेट पेपर मंगवाए और 20 फरवरी को फिर सुनवाई तय की।
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