देश में समानता बनाए रखने के लिए भाईचारे की भावना महत्वपूर्ण : प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़

नई दिल्ली।  (आवाज न्यूज ब्यूरो)  भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि देश में एक-दूसरे का सम्मान करते हुए समानता और भाईचारे की भावना बनाए रखने की जरूरत है।
कानून मंत्रालय के तत्वावधान में यहां आयोजित कार्यक्रम हमारा संविधान, हमारा सम्मानश् को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि देश में समानता बनाए रखने के लिए भाईचारे की भावना बहुत महत्वपूर्ण है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने सवाल किया, संविधान की भावना के अनुसार, हम सभी को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। अगर लोग आपस में लड़ेंगे तो देश कैसे प्रगति करेगा।
प्रधान न्यायाधीश ने यह भी कहा कि संविधान निर्माताओं ने मानवीय गरिमा को सर्वोच्च स्थान दिया है। उन्होंने कहा, बाबा साहेब अंबेडकर ने यह सुनिश्चित किया था कि न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों के साथ-साथ भाईचारे की भावना और व्यक्ति की गरिमा को संविधान में बरकरार रखा जाए।
यहां महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सीजेआई ने यह भी कहा कि लोकतंत्र और भारत के संविधान के बीच एक संबंध है। उन्होंने कहा, संविधान को समझने से लोकतंत्र की समझ भी विकसित और पोषित होती है। संविधान के संदेशों को हर व्यक्ति तक पहुंचाने की जरूरत है। संविधान की भावना को हर नागरिक तक पहुंचाना होगा। सीजेआई ने यह भी कहा कि देश की किसी भी अदालत में फैसले स्थानीय भाषा में होने चाहिए।
उन्होंने कहा, जब मैं दिल्ली में बैठकर किसी वकील या जज के लिए फैसला कर रहा हूं, तो वह किसी खास भाषा में हो सकता है, लेकिन अगर मैं आम आदमी के लिए कोई फैसला कर रहा हूं तो वह सरल भाषा में होना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने बीकानेर में ई-कोर्ट सुविधा शुरू करने की भी घोषणा की और कहा कि यहां बसे वकील अब अपने शहर से ही प्रैक्टिस कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि देश का सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली के तिलक मार्ग पर स्थित है। लेकिन यह तिलक मार्ग का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है, यह भारत का सर्वोच्च न्यायालय है। इसी तरह, राजस्थान उच्च न्यायालय भी केवल जयपुर या जोधपुर का नहीं हैयबल्कि यह संपूर्ण राजस्थान के लिए है। सीजेआई ने कहा, अब बीकानेर के वकील यहीं से उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस और पैरवी कर सकेंगे।
सीजेआई ने भारत के संविधान के बारे में आगे कहा, संविधान के निर्माण में कई सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों ने योगदान दिया। संविधान का मसौदा सभी वर्गों को ध्यान में रखकर बनाया गया था। यह सिर्फ वकीलों के लिए एक दस्तावेज नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण में बीकानेर का भी बड़ा योगदान रहा है।
उन्होंने कहा, संविधान सभा के 284 सदस्यों में से एक बीकानेर से जसवंत सिंह थे। बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह को चैंबर ऑफ प्रिंसेस के पहले चांसलर के रूप में चुना गया था। भारत का संविधान बीकानेर से निकटता से जुड़ा हुआ है। इससे पहले कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि चैंबर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर के तौर पर महाराजा गंगा सिंह उसी स्थान पर बैठते थे, जहां शुरुआत में देश के प्रधान न्यायाधीश बैठते थे।

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