गर्मियों के मौसम में आज भी कई घरों में मिट्टी का बना घड़ा या मटका नजर आ जाता है। भारत में मटके में पानी रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। कई तरह के वॉटर प्यूरीफायर और कंटेनर्स आने के बाद भी आज तक लोग मिट्टी का घड़ा अपने घरों में रखते हैं। मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। इसमें लाभकारी मिनरल्स मौजूद होते हैं जो शरीर को विषैले तत्वों से मुक्ति दिलाते हैं। मिट्टी के घड़े में पानी रखने से पानी में मिट्टी की सोंधी खुशबू समा जाती थी। जब हम इस पानी को पीते थे तो प्यास बुझने के साथ ही हमें एक संतुष्टि भी मिलती थी जबकि फ्रिज का पानी पीने से ना तो प्यास ही बुझ पाती है और ना ही संतुष्टि मिलती है। मिट्टी का घड़ा हर साल बदला जाता था और कभी-कभी सीजन में दो या तीन घरों की जरूरत पड़ती थी। ऐसे में कुम्हार भाइयों को पूरे साल भर रोजगार मिला रहता था। आज हर घर में फ्रिज आ जाने से यह व्यवसाय पूरी तरीके से नष्ट हो चुका है। मिट्टी के घड़े खरीदने के दोहरे फायदे हैं। इसलिए आज ही अपने घर में एक सुन्दर सा मटका ले आइये और स्वस्थ रहिये।
-प्रियंका सौरभ
मुझे याद है आज से 20-25 साल पहले जब हम छोटे हुआ करते थे उम्र यही कोई पांच 7 साल के आसपास, तब घरों में फ्रिज बहुत ही दुर्लभ चीज हुआ करती थी। जिसके घर में फ्रिज होता था हम उसे बहुत अमीर आदमी मानते थे। हमारे घर में फ्रिज नहीं था तो हमें यह लगता था कि हम बहुत गरीब हैं। उस समय फ्रिज की आइसक्रीम खाने के लिए पूरा मोहल्ला किसी एक ही घर परिवार पर आश्रित रहता था। लेकिन ठंडा पानी पीने के लिए लगभग सभी घरों में घड़े हुआ करते थे। और आज जब लगभग सभी घरों में फ्रिज है तो मैं उन दिनों को याद करता हूं जब हम छत पर सोते थे और एक छोटी सी सुराही भी अपने साथ लेकर सोते थे कि अगर रात में पानी पीने की जरूरत हो तो उस सुराही से निकाल कर के पी सकें।
गर्मियों में फ्रिज का पानी पीना सब को अच्छा लगता है। परंतु फ्रिज का पानी पीने से कुछ देर के लिए तो हमें ठंडक मिलती है लेकिन बाद में बहुत ही जल्दी प्यास लगाती है और यह गर्मी भी प्रदान करता है। परंतु मटके का पानी जो प्यास बुझाता है उसका मुकाबला फ्रिज के पानी से नहीं किया जा सकता। मटके का पानी कई बीमारियों को दूर करता है जबकि दूसरी ओर फ्रिज का पानी कई बीमारियों को जन्म देता है। मटका शुद्ध मिट्टी से बना हुआ होता है। इसलिए मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है। मटके का पानी पीने से काफी देर तक प्यास नहीं लगती है जबकि फ्रिज का पानी पीने से उसी समय दुबारा पानी पीने का मन करता है। फ्रिज का पानी चाहे कितनी बार भी क्यों न पी लो परंतु प्यास बुझती ही नहीं है। मटके का पानी पीने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। मटके का पानी पीने से पेट में गैस नहीं बनती है और पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। सबसे बड़ी बात मटके का पानी पीने से हमारे मटका बनाने वाले भाइयों को रोजगार मिलता है।
मिट्टी के घड़े में पानी बाहरी तापमान के अनुसार ही ठंडा रहता है। अगर बाहरी तापमान में गर्मी ज्यादा है तो मिट्टी के घड़े का पानी ज्यादा ठंडा होगा और अगर बाहरी तापमान थोड़ा कम गर्म है तो पानी भी कम गर्म रहेगा। ऐसे में मिट्टी के घड़े में रखा पानी हमेशा शरीर के तापमान के अनुसार ही ठंडा रहता था और यही कारण है कि मिट्टी के घड़े का ठंडा पानी कभी भी नुकसान नहीं करता जबकि फ्रिज से निकाला हुआ पानी पीने से सर्दी जुकाम की संभावना बनी रहती है। मिट्टी के घड़े में पानी रखने से मिट्टी में उपस्थित बहुत से खनिज तत्व उस पानी में मिल जाते हैं और जब हम उस पानी को पीते हैं तो वह खनिज तत्व हमारे शरीर में पहुंचकर हमारे शरीर को पोषित करते हैं। जैसा हम जानते हैं कि मिट्टी में लगभग 80 प्रकार के खनिज तत्व विभिन्न मात्रा में मौजूद होते हैं। इन तत्वों में बहुत सारे तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। आज लोग फ्रिज का पानी पी रहे हैं लेकिन साथ ही मिनरल सप्लीमेंट भी ले रहे हैं। जबकि पहले किसी को मिनरल सप्लीमेंट लेने की जरूरत नहीं होती थी।
मिट्टी के घड़े में पानी रखने से पानी में मिट्टी की सोंधी खुशबू समा जाती थी। जब हम इस पानी को पीते थे तो प्यास बुझने के साथ ही हमें एक संतुष्टि भी मिलती थी जबकि फ्रिज का पानी पीने से ना तो प्यास ही बुझ पाती है और ना ही संतुष्टि मिलती है। मिट्टी का घड़ा हर साल बदला जाता था और कभी-कभी सीजन में दो या तीन घरों की जरूरत पड़ती थी। ऐसे में कुम्हार भाइयों को पूरे साल भर रोजगार मिला रहता था। आज हर घर में फ्रिज आ जाने से यह व्यवसाय पूरी तरीके से नष्ट हो चुका है। मिट्टी के घड़े में पानी फ्रिज के अपेक्षा ज्यादा शुद्ध रहता था साथ ही मिट्टी के घड़े से पानी हमेशा किसी अन्य बर्तन में लेकर पिया जाता था जिससे घड़ा भी शुद्ध रहता था लेकिन आज फ्रिज में रखी बोतल से सीधे पानी पिया जाता है। यह बोतलें परजीवी संक्रमण की दृष्टि से बहुत ही नुकसानदायक है साथ ही प्लास्टिक अपने आप में ही स्वास्थ के लिए बहुत नुकसानदायक है।
गर्मियों के मौसम में आज भी कई घरों में मिट्टी का बना घड़ा या मटका नजर आ जाता है। भारत में मटके में पानी रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। कई तरह के वॉटर प्यूरीफायर और कंटेनर्स आने के बाद भी आज तक लोग मिट्टी का घड़ा अपने घरों में रखते हैं। इसके कई फायदे हैं और इसे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है। अक्सर गर्मी लगने पर कई बार आप फ्रिज में रखा ठंडा पानी पी लेते हैं। ये आपके गले और शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है। गले की कोशिकाओं का तापमान अचानक गिर जाता है और इसके कारण बहुत सी समस्यायें हो जाती हैं। गले की ग्रंथियों मे सूजन आ जाती है। जबकि आप अगर घड़े का पानी पीते हैं तो उसका कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ता है। घड़े में रखे पानी में मौजूद विटामिन और मिनरल्स शरीर के ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये शरीर को ठंडक प्रदान करने का काम करते हैं। अगर आप नियमित तौर पर घड़े का पानी पीते हैं तो व्यक्ति का इम्युन सिस्टम मजबूत होता है। जबकि प्लास्टिक की बोतल में पानी रखने से उसमें अशुद्धियां इकट्ठी हो जाती हैं। मिट्टी के घड़े खरीदने के दोहरे फायदे हैं। इसलिए आज ही अपने घर में एक सुन्दर सा मटका ले आइये और स्वस्थ रहिये।