नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 आज से भारत में प्रभावी हो गए हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इन कानूनों की निंदा की है।
भारत में इन तीनों नए आपराधिक कानूनों ने ब्रिटिश कालीन कानूनों भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। तीन नए आपराधिक कानूनों को विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि विपक्ष का आरोप है कि इन्हें संसद में जबरन पारित किया गया था। कांग्रेस नेताओं ने इन कानूनों की निंदा करते हुए इन्हें असंवैधानिक और गैरजरूरी बताया है। सुप्रीम कोर्ट में भी इन तीनों कानूनों के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कानून के लागू होने वाले दिन यानी एक जुलाई को एक्स (पहले ट्विटर) पर एक ट्वीट कर इन कानूनों की निंदा की है। खड़गे ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, चुनाव में राजनीतिक और नैतिक झटके के बाद मोदी जी और भाजपा वाले संविधान का आदर करने का खूब दिखावा कर रहे हैं, पर सच तो ये है कि आज से जो आपराधिक न्याय प्रणाली के तीन कानून लागू हो रहे हैं, वो 146 सांसदों को सस्पेंड कर जबरन पारित किए गए। ‘इंडिया’ गठबंधन अब ये ‘बुलडोजर न्याय’ संसदीय प्रणाली नहीं चलने देगा। वहीं कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि नए कानूनों का बड़ा हिस्सा कट, कॉपी और पेस्ट वाला है जिसे कुछ संशोधनों के साथ पूरा किया जा सकता था।
तीन नए कानूनों पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
चिदंबरम ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले तीन आपराधिक कानून आज से लागू हो गए हैं। तथाकथित नए कानूनों में से 90-99 प्रतिशत कट, कॉपी और पेस्ट का काम है। जो काम मौजूदा तीन कानूनों में कुछ संशोधनों के साथ पूरा किया जा सकता था, उसे एक बेकार की कवायद में बदल दिया गया है। चिदंबरम ने साथ ही आरोप लगाया कि आपराधिक न्याय प्रणाली में कुछ बदलाव प्रथम दृष्टया असंवैधानिक हैं। उन्होंने कहा, हां, नए कानूनों में कुछ सुधार हुए हैं और हमने उनका स्वागत किया है। उन्हें संशोधन के रूप में पेश किया जा सकता था।
29 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम में कहा था कि नए कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे जबकि अंग्रेजों (देश पर ब्रिटिश शासन) के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई थी। उन्होंने कहा, इन कानूनों को भारतीयों ने, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है और यह औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानूनों का खात्मा करते हैं। पिछले साल केंद्र सरकार ने भारत की न्याय व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाने वाले तीन बिल संसद से पारित कराए थे। नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।
नए कानून के तहत दिल्ली में पहला केस
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दिल्ली में नए कानूनों के तहत पहला केस दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस ने एक रेहड़ी-पटरी वाले पर नए कानूनों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। रेहड़ी वाले पर आरोप है कि वह रास्ते को बाधित कर अपनी दुकान चला रहा था। रेहड़ी पटरी वाले पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 173 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है। वहीं उसपर दूसरे आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 285 के तहत आरोप लगाया गया है, जिसके मुताबिक रेहड़ी के कारण वहां से गुजरने वाले लोगों को परेशानी हो और असुविधा हो रही थी। दिल्ली पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर ने ही आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि पुलिस ने पहले रेहड़ी वाले को रेहड़ी हटाने के लिए कहा लेकिन आरोप है कि उसने पुलिस के निर्देशों का पालन नहीं किया जिसके बाद उसके खिलाफ नए कानूनों के तहत शिकायत दर्ज कराई गई।