लखनऊ। (आवाज न्यूज ब्यूरो) हाथरस में सत्संग के बाद भगदड़ से हुई 121 लोगों की मौतों के मामले में गिरफ्तार किए गए देवप्रकाश मधुकर के कई सियासी पार्टियों से गहरे रिश्ते उजागर हुए हैं। मधुकर कई बड़े नेताओं के संपर्क में था। मधुकर से पूछताछ के बाद एजेंसियों को जो पता चला है, उसके मुताबिक वह सत्संग आयोजन के लिए फंड इकट्ठा करने का काम करता था। इतना ही नहीं, सभी बड़े आयोजनों की जिम्मेदारी भी उसके हाथ में रहती थी। इस समिति के सदस्य उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ में बताए जा रहे हैं।
बताया तो यहां तक जा रहा है कि सत्संग के बाद भगदड़ में जब लोगों की मौत हुई थी, तब मधुकर ने ही बाबा को इसकी जानकारी दी थी। हालांकि, इस सवाल के जवाब में पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि कॉल डिटेल खंगाली जा रही हैं। सही तस्वीर सामने आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। पुलिस गिरफ्त में आया देवप्रकाश मधुकर वैसे तो एटा का रहने वाला है लेकिन मौजूदा समय में वह सिकंदराराऊ के मोहल्ला दमदपुरा नई कॉलोनी में रह रहा है। यहीं पर वह 10 साल पहले भोले बाबा की मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम समिति से जुड़ गया था। कुछ ही समय में उसे मुख्य सेवादार का दर्जा दे दिया गया और भोले बाबा के प्रिय शिष्यों में उसकी गिनती होने लगी है। बताया जाता है कि आमतौर पर भोले बाबा किसी से फोन पर बात नहीं करते लेकिन मधुकर से उनकी फोन पर बात होती थी।
हाथरस में सत्संग कराने की जिम्मेदारी भी उसे ही दी गई थी। उसी ने एसडीएम सिंकदराराऊ से सत्संग की अनुमति ली थी। इस सत्संग का बड़ा प्रचार-प्रसार किया गया। शहर में ही 50 से ज्यादा बोर्ड लगाए गए। पुलिस को जानकारी मिली है, इस सत्संग के लिए भी बड़े पैमाने पर चंदा हुआ। कई सियासी दलों के लोग भी मधुकर के संपर्क में थे और फंडिंग करते थे। सिंकदराराऊ में भी सत्संग की अनुमति के लिए कई पार्टियों के नेताओं ने अपने सिफारिशी पत्र भी आवेदन के साथ लगाए थे। पुलिस पूछताछ में जो खुलासा हो रहा है, उसके मुताबिक सियासी दल एक बड़े वर्ग को साधने के लिए इनसे जुड़े रहे हैं। जांच एजेंसियों ने इसकी भी जांच शुरू कर दी है।
हाथरस जिले के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में सत्संग के आयोजन के लिए पिछले एक महीने से चंदा हो रहा था। तीस से ज्यादा लोगों की टीम गांव-गांव जाकर अपने समाज के लोगों से पैसा इकट्ठा कर रही थी। आयोजन के लिए ही 70 लाख से ज्यादा का चंदा तो हाथरस क्षेत्र के लोगों से ही हो चुका था। जबकि एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की भी है, जो आनलाइन पैसा भेज रहे थे। चंदे के लिए जिसकी जो आस्था हो वह दे सकता था। सौ रुपये देने वाले भी थे और 20 हजार देने वाले भी। समिति से जुड़े लोग जब चंदा इकट्ठा कर लेते थे तो मधुकर को सौंप देते थे। बाद में इस पैसे को ट्रस्ट में जमा कर दिया जाता था। बताया तो यहां तक जाता है कि चंदे की 30 फीसदी रकम इकट्ठा करने वाले रख लेते हैं, जबकि 70 फीसदी पैसा ट्रस्ट में जमा कर दिया जाता है। इसकी कोई रसीद नहीं दी जाती बल्कि डायरी में लिख लिया जाता है।
हाथरस हादसे के मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी से भोले बाबा की सत्संग समिति से जुड़े कई राज सामने आए हैं। देवप्रकाश मधुकर खुद एटा जिले में मनरेगा में तकनीकी सहायक के रूप में तैनात है। वह भोले बाबा समिति का मुख्य सेवादार भी है। जहां भी बड़े सत्संग होते हैं उनका आयोजन करना और फंड इकट्ठा करना उसकी ही जिम्मेदारी है। पुलिस को पूछताछ के दौरान जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक कई सरकारी विभागों में उसने सत्संग समिति के सदस्य बना रखे हैं। अधिकारियों तक को जोड़ रखा है। पुलिस की जांच कमेटी ने अब इस दिशा में भी काम शुरू कर दिया है। पुलिस को जानकारी मिली है कि एक विभाग में तो बाकायदा बाबा का फोटो लगा हुआ था। जब हाथरस हादसा हुआ तो तस्वीर हटा दी गई है। वहीं कुछ सेवानिवृत अधिकारी भी फुले बाबा से जुड़े हैं और वह भी जगह जगह सत्संग के आयोजन कराते हैं। ऐसे कुछ सेवानिवृत अधिकारियों के बारे में पुलिस को जानकारी मिल गई है। यह भी संभव है कि उनके पूछताछ की जाए।
हाथरस एसपी निपुण अग्रवाल का कहना है कि मधुकर से पूछताछ में पता चला है कि कई राजनीतिक पार्टियां उसके संपर्क में थीं। फंड इकट्ठा करने के संबंध में गहराई से जांच की जा रही है। पूछताछ में ऐसा भी प्रतीत हुआ है कि राजनीतिक दल अपने राजनीतिक और निजी स्वार्थ के लिए इनसे जुड़े हैं। देवप्रकाश मधुकर के सभी बैंक खाते और संपत्ति की जांच की जा रही है। इसके लिए संबंधित एजेंसियों का भी सहयोग लिया जाएगा।
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