नीट पेपर लीक मामला : परीक्षा की पवित्रता के साथ समझौता हुआ: सुप्रीम कोर्ट

‘‘एक बात साफ है कि पेपर लीक हुआ: सीजेआई’’
नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) 
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 जुलाई) को विवादों से घिरी मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट नीट-यूजी 2024 से संबंधित 30 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई की। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हुड्डा ने कहा, छात्र परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इस परीक्षा के लिए 9 फरवरी को ऑनलाइन आवेदन जारी किए गए थे और रिजल्ट 4 जून जारी हुआ था। उन्होंने आगे कहा कि 3 मई को एक निजी कॉलेज के कुछ घोटालेबाजों ने परीक्षा के पेपर मांगे और परीक्षा 5 मई को हुई। 4 मई को एक टेलीग्राम चैनल ने प्रश्नपत्र और उत्तर अपलोड किए जिसके बाद परीक्षा 5 मई को हुई।
अधिवक्ता की पूरी बात सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने पूछा कि नेशनल टेस्ट एजेंसी (एनटीए) ने परीक्षा की घोषणा कब की? इस पर याचिकाकर्ता ने कहा 9 फरवरी को। याचिकाकर्ता के वकील नरेंद्र हुड्डा ने दलील दी कि पेपर की आपूर्ति वाले बैंकों को लेकर भ्रम की स्थिति थी, क्योंकि खबर आई थी कि प्रश्न पत्र भारतीय स्टेट बैंक से आएंगे। उसमें केनरा बैंक से आने की भी बात आ गई। वकील ने आगे कहा कि प्रश्न पत्रों के दो सेट आने थे एक स्टेट बैंक से और दूसरे केनरा बैंक से। बैंक से पेपर परीक्षा से कुछ मिनट पहले आने थे लेकिन वहां देरी हुई। उन्होंने आगे कहा कि नीट 2024 पेपर लीक होने के कई मामले सामने आए हैं। पटना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, ये आश्चर्यजनक है कि 67 कैंडिडेट को 100 फीसदी मार्कस मिले थे।
इस दलील पर सीजेआई ने कहा कि ‘क्या इस बात को माना जाए कि पेपर लीक हुआ है।’ इस पर एनटीए ने कहा कि पटना में कथित पेपर लीक का मामला आया है, लाभार्थियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बिहार पुलिस का कहना है कि एनटीए ने मानक एसओपी का पालन नहीं किया है।
सीजेआई ने कहा यह कोई प्रतिकूल मुकदमा नहीं है, हम जो भी फैसला लेंगे, वह छात्रों के जीवन को प्रभावित करेगा। 67 उम्मीदवारों ने 720/720 अंक प्राप्त किए थे, और अनुपात बहुत कम था। इससे ये बात तो साफ है कि पेपर लीक हुआ था और परीक्षा की पवित्रता से समझौता किया गया। उन्होंने कहा अगर प्रश्न पत्र टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लीक होता है। तो यह जंगल की आग की तरह फैलता है। कोर्ट ने आगे कहा कि हम प्रश्न पत्र लीक के लाभार्थियों की संख्या जानना चाहते हैं। उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है? कितने गलत कृत्य करने वालों के परिणाम रोके गए हैं? ऐसे लाभार्थियों का भौगोलिक वितरण जानना चाहते हैं। यह मानते हुए कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी, वह पेपर लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करेगी? सीजेआई ने कहा जो हुआ उसे हमें नकारना नहीं चाहिए।
सीजेआई ने कहा है कि याचिकाकर्ता के वकील इस बात पर अपनी दलीलें पेश करेंगे कि दोबारा परीक्षा क्यों होनी चाहिए? साथ ही केंद्र भी तारीखों की पूरी सूची देगा और हम इस मामले को गुरूवार यानि 11 जुलाई को सुनवाई करेंगे। खबर है कि तब तक सीबीआई भी अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।

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