योगी सरकार को बडा झटका : बहुमत के बाद भी विधान परिषद में गिरा नजूल संपत्ति बिल

‘‘प्रवर समिति के पास भेजा जाएगा नजूल संपत्ति बिल’’
लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो)
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को बड़ा झटका लगा है। बहुमत होने के बावजूद नजूल संपत्ति बिल विधान परिषद में गिर गया। जानकारी के मुताबिक, बिल को प्रवर समिति के पास भेजा जाएगा। इससे पहले विधानसभा में उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति बिल 2024 भारी विरोध के बीच पास हुआ था। बता दें कि विधान परिषद में बीजेपी के 78 एमएलसी हैं। जबकि समाजवादी पार्टी के 10 एमएलसी हैं, 1-1 एमएलसी राष्ट्रीय लोकदल, सुभासपा और अपना दल सोनेलाल के हैं। विधान परिषद में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नेता सदन हैं। इसके बावजूद यह बिल विधान परिषद में अटक गया। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के ज्यादातर एमएलसी ने इस बिल का विरोध किया और प्रवर समिति को भेजने की अपील की।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब नजूल की जमीन किसी को पट्टे पर नहीं देगी। इसके अलावा पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद पट्टेदार को बेदखल कर दिया जाएगा और नजूल की जमीन वापस ले ली जाएगी। इस संबंध में उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए प्रबंधन एवं उपयोग) विधेयक-2024 विधानसभा में पेश किया था। इस विधेयक का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 2 विधायकों और सीएम योगी के समर्थक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने विरोध किया, इसके अलावा समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों ने वेल में आकर इस विधेयक का विरोध किया और इसे जनविरोधी बताया।
भारी विरोध के बीच विधानसभा से पारित हो गया
सभी विरोधों को दरकिनार करते हुए योगी सरकार ने अपने बहुमत के बल पर विधानसभा में इस विधेयक को पारित करा लिया। उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए प्रबंधन एवं उपयोग) विधेयक-2024 सोमवार को सदन में पेश किया गया था। इसके बाद से ही सदन के मानसून सत्र में इस विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच बहस चल रही थी।
नए कानून का उद्देश्य नजूल भूमि का उपयोग विकास कार्यों में किया जाना है
संसदीय कार्य मंत्री ने इससे पूर्व कहा कि नजूल भूमि का उपयोग विकास कार्यों व सार्वजनिक कार्यों में किए जाने के लिए सरकार यह विधेयक लाई है। नजूल भूमि का इतिहास अजीब है। ब्रिटिश शासनकाल के विरुद्ध आंदोलन करने वालों की जमीनों को जब्त कर लिया गया था। वही नजूल भूमि कही जाती है। नए कानून का उद्देश्य नजूल भूमि का उपयोग विकास कार्यों में किया जाना है।
निजी व्यक्ति या संस्था को नहीं मिलेगा पूर्ण स्वामित्व
बताया कि अब नजूल भूमि का पूर्ण स्वामित्व निजी व्यक्ति या संस्था को नहीं मिलेगा। नजूल भूमि के पूर्ण स्वामित्व परिवर्तन के संबंध में पहले से कोर्ट या प्राधिकारी के समक्ष लंबित आवेदन अस्वीकृत समझे जाएंगे। जिन नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड कराने के लिए रकम जमा की गई है, उसे भारतीय स्टेट बैंक की ब्याज दर पर वापस किया जाएगा। आगे कोई नजूल भूमि फ्रीहोल्ड नहीं की जाएगी।
सपा सदस्यों ने किया विरोध
सपा सदस्य डॉ. आरके वर्मा व कमाल अख्तर ने विधेयक का विरोध किया। कहा, इससे कई विसंगतियां पैदा होंगी। नजूल भूमि के विवाद बड़े पैमाने पर हैं और कोर्ट में चल रहे हैं। यह संवैधानिक ढांचे के विपरीत है। कई धार्मिक स्थल व प्रशासनिक भवन भी नजूल भूमि पर हैं। सरकार स्पष्ट करे कि उनका क्या होगा। सपा सदस्य ने इसे पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाला कानून बताया। कहा, भूमि अधिग्रहण की नीति भी है। इस कानून से गरीब परिवार उजड़ जाएंगे।

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