नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को स्वाति मालीवाल से मारपीट मामले में आरोपी विभव कुमार को सशर्त जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आरोपी 100 दिनों से हिरासत में है। बीते दिनों मेडिकल रिपोर्ट भी सामने आई थी। इसमें साधारण चोट होने की बात कही गई थी।
दिल्ली पुलिस ने जमानत का विरोध करते हुए कहा, अभी मामले में कई सबूतों और गवाहों को पेश किया जाना है। अगर आरोपी को जमानत दी गई, तो वह मामले से जुड़े साक्ष्यों और गवाहों को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर सकता है। इसी आशंका को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विभव को जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी लगाई हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव रहे विभव कुमार पर स्वाति मालीवाल ने गत 12 मई को मुख्यमंत्री आवास में उनके साथ मारपीट का आरोप लगाया था। आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए 18 मई को विभव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने विभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने आज विभव कुमार को जमानत देते हुए उनके मुख्यमंत्री आवास और कार्यालय जाने पर रोक लगाई है। इसके अलावा, आरोपी और उससे जुड़े लोगों को मामले के संबंध में टिप्पणी करने की भी मनाही होगी। आरोपी को कोई भी ऐसा पद देने से साफ इनकार किया गया है, जिससे वह मामले से जुड़े किसी भी साक्ष्य को प्रभावित करने की स्थिति में हो।
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि आरोपी को निजी सचिव का पद बिल्कुल न दिया जाये क्योंकि आशंका है कि अगर उसे निजी सचिव या कोई ऐसा ही प्रभावशाली पद दिया गया, तो वह गवाहों और सबूतों को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है। आरोपी जिस पार्टी से जुड़ा हुआ है, यानी आम आदमी पार्टी से जुड़े किसी भी नेता को मामले के संबंध में टिप्पणी करने से साफ मना किया गया है। शीर्ष अदालत ने पुलिस और वकील से यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर आरोपी मामले में सहयोगात्मक रवैया नहीं दिखाता है, तो उसे आवेदन दाखिल करने के लिए कहा जाए।
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