फर्रुखाबाद। (आवाज न्यूज ब्यूरो ) बहुत ही दुखद समाचार है कि मजदूरों किसानों छात्रों भारतीय क्रांति के लिए प्रतिबद्ध प्रोफेसर जी एन साईबाबा का देहावसान हो गया है। एन आई एम एस के चिकित्सकों ने बताया कि जी एन साईबाबा ने 12 अक्टूबर को रात्रि ८.३६ बजे अंतिम सांस ली।
कॉमरेड जी एन साईबाबा को आखिरी लाल सलाम!
योगेन्द्र यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष नेशनल डेमोक्रेटिक पीपुल्स फ्रंट (एन डी पी एफ)
जेल में जन्मी कविता
(यह कविता प्रो. जीएन साईबाबा ने केंद्रीय जेल नागपुर में अण्डा सेल से माता की मृत्यु से पूर्व लिखी थी। उन्हें मृत्युशैय्या पर पड़ी मां से मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी।)
*मां, मेरे लिए मत रोना*
मां, मेरे लिए मत रोना
जब तुम मुझे देखने आयी
तुम्हारा चेहरा मैं नहीं देख सका था
फाइबर कांच की खिड़की से
मेरी अशक्त देह की झलक
यदि मिली होगी तुम्हें
यक़ीन हो गया होगा
कि मैं जीवित हूं अब भी।
मां, घर में मेरी गैर मौजूदगी पर मत रोना
जब मैं घर और दुनिया में था
कई दोस्त थे मेरे
जब मैं इस कारागार के
अण्डा सेल में बंदी हूं
पूरी दुनिया से
और अधिक मित्र मिले मुझे।
मां, मेरे गिरते स्वास्थ्य के लिए उदास मत होना
बचपन में जब तुम
एक गिलास दूध नहीं दे पाती थी मुझे,
साहस और मजबूती शब्द पिलाती थीं तुम
दुख और तकलीफ के इस समय में
तुम्हारे पिलाये गये शब्दों से
मैं अब भी मजबूत हूं।
मां, अपनी उम्मीद मत छोड़ना
मैंने अहसास किया है
कि जेल मृत्यु नहीं है
ये मेरा पुनर्जन्म है
और मैं घर में
तुम्हारी उस गोद में लौटूंगा
जिसने उम्मीद और हौसले से मुझे पोषा है।
मां, मेरी आजादी के लिए
मत डरना
दुनिया को बता दो
मेरी आजादी खो गयी है
क्या उन सभी जन के लिए आजादी पायी जा सकती है
जो मेरे साथ खड़े हैं
धरती के दुख का कारण लाओ
जिसमें मेरी आजादी निहित है।
-जी एन साईबाबा
(जेल में मां से मुलाकात के बाद)
मुझे उम्मीद है कोई इस कविता को पढ़कर बता देगा, माफी चाहूंगा विदेशी जुबान में लिखने के लिए, जिसे तुम समझ नहीं सकती।
मैंने खुद को उस मीठी भाषा में लिखने की अनुमति नहीं है। जो तुमने मुझे शैशवा अवस्था में सिखाई थी।
प्यार के साथ,
तुम्हारा बच्चा
जीएन. साईबाबा
अण्डा सेल, केंद्रीय जेल
नागपुर।
1 दिसंबर, 2017
(मूल कविता अंग्रेजी में।अनुवाद-भारती)