शोषित और वंचित तबके के बीच हमेशा अमर रहेंगे धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव

फर्रुखाबाद। (आवाज न्यूज ब्यूरो) धरती पुत्र नेताजी मुलायम सिंह यादव ने हमेशा गरीबों, मजदूरों और किसानों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया। गांव की धूल और धुएं की पृष्ठभूमि से उठकर, राजनीति के शिखर पर पहुंचकर नेताजी ने यह साबित कर दिया कि उनका नाम भले ही मुलायम है, पर इरादे फौलादी हैं।
नेताजी ने डॉ राम मनोहर लोहिया के समाजवाद के सपनों और उनकी विरासत को शिखर तक पहुंचाने में एक नायक की भूमिका निभाई। समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर, साथ चलने की खासियत के कारण ही इन्हें ’नेताजी’ के नाम की उपाधि दी गई। उन्होंने जो कहा, वो किया। मुलायम सिंह यादव के इसी गुण के कारण लोग आज भी इन्हें जबान का धनी कहते थे। जीवन भर किसानों और मजदूरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले। इसीलिए नेताजी देश के एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्हें किसानों ने ’धरतीपुत्र’ की उपाधि से सुशोभित किया। देश के सबसे बड़े सूबे के तीन बार मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री जैसे अन्य पदों पर रहकर देश सेवा को नारायण सेवा मानने वाले नेताजी ने कई ऐसे महत्वपूर्ण फैसले के लिए जिसके लिए आज भी उन की मिसाल दी जाती है।
मुलायम सिंह यादव वास्तव में जनप्रिय नेता थे। वह ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने समाजवादी पार्टी को जोड़कर रखा है। उनका कहा किसी ने कभी अनसुना नहीं किया। उनकी एक आवाज पर आज भी लाखों की संख्या में भीड़ जुट जाती थी। बाराबंकी से नेताजी के गहरा रिश्ता था। समाजवादी आंदोलन में नेताजी मुलायम सिंह यादव के साथ रहे श्री राजनाथ शर्मा जी उन्हें लोहिया का अनुयायी मानते थे। हिंदी आंदोलन, किसान आंदोलन, आपातकाल जैसे कई सत्याग्रहों में सहयात्री रहे हैं। खादी, स्वदेशी, दाम बांधो, हिमालय बचाओ और भारत, पाक, बांग्लादेश महासंघ के मुद्दों से संसद को हमेशा गर्म करने का काम किया। वह हमेशा चीन और अमेरिका के खिलाफ मुखर रहे।
नेताजी के जाने के साथ ही ज़मीन से जुड़ी राजनीति के एक भरे पूरे अध्याय का पटाक्षेप हो गया। हालांकि वे लम्बे वक़्त से बीमार थे पर ऐसे प्रबल ऊर्जावान व्यक्तित्व का लम्बे समय तक राजनीति से विरक्त होकर पड़े रहना अच्छा नही लगता। मुलायम सिंह यादव का निष्क्रिय और लाचार पड़े रहने का नाम नही था। वह शोषित और वंचित तबके के हक़ में राजनीति की विशाल करवट का नाम थे। इस देश की राजनीति जब भी ऐसी कोई करवट लेगी, नेताजी बहुत याद आएंगे। आज नेताजी की जयंती पर उन्हें सादर नमन

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