अडानी पर लगे आरोपों पर सबको सांप सूंघ गया…संसद में चर्चा तो दूर उनका नाम तक नहीं ले रहे : कांग्रेस

‘‘अडानी की वजह से ईडी,सीबीआई,सेवी जैसे संस्थान और एजेंसी सबके हाथ पांव फूल गए’’
‘‘अमेरिका में वारंट जारी होने के बाद से तो दुनिया भर में अडानी के कारनामों का डंका बज रहा है।’’
नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)
 अमेरिका में गौतम अडानी पर लगे आरोपों को लेकर सियासत तेज हो गई है। संसद में आज भी इस मुद्दे पर जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्षी दलों के नेता लगातार संसद में अडानी के मामले में जांच की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस लगातार अडानी की गिरफ्तारी की मांग कर रही है। कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा कि अडानी पर लगे इतने संगीन आरोपों के बीच मोदी सरकार और जांच एजेंसियों को सांप क्यों सूंघ गया है?
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि किसी भी और के ऊपर अगर यह आरोप लगे होते तो ईडी,सीबीआई,सेवी जैसे संस्थान और एजेंसी इन सनसनीखेज खुलासों की जांच करतीं लेकिन अडानी की वजह से सबके हाथ पांव फूल गए हैं। संसद में चर्चा तो दूर उनका नाम तक नहीं ले रहे। कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा कि हर ओर से घिरे अडानी सिर्फ भारत में ही सेफ हैं, क्योंकि यहां पर नरेंद्र मोदी के चलते कोई उनका कुछ नहीं कर सकता। जांच एजेंसियां मूक दर्शक बनी बैठी हैं वरना इन आरोपों के आधार पर तो अभी तक उनकी गिरफ्तारी हो जानी चाहिए थी।
कांग्रेस ने कहा कि इस मंच से हम मांग करते हैं कि लाखों करोड़ों की हेराफेरी और घूस देने वाले अडानी की गिरफ्तारी हो। सदन में अडानी पर लगे आरोपों की विस्तृत चर्चा हो। हमारी जांच एजेंसियों और सेवी जैसे संस्थान इन आरोपों की निष्पक्ष जांच करें। सत्तारूढ़ दल बीजेपी, सरकार के मंत्री और सांसद बेशर्मी से अडानी का बचाव करना छोड़ दें। कांग्रेस ने कहा कि अमेरिका में वारंट जारी होने के बाद से तो दुनिया भर में अडानी के कारनामों का डंका बज रहा है।
फ्रांस की कंपनी टोटल एनर्जी ने अडानी ग्रूप में भविष्य के किसी भी निवेश पर रोक लगा दी है।
टोटाल एनर्जी दुनिया की 7 सुपर पॉवर एनर्जी कंपनी में से एक है और अडानी ग्रीन में उसका 20þ हिस्सा है।
अमेरिकी एजेंसी अडानी समर्थित श्रीलंकाई बंदरगाह परियोजना के लिए 550 मिलियन डॉलर के ऋण की फिर से जांच कर रही है।
श्रीलंका स्वयं अडानी पॉवर की डील को रिव्यू कर रहा है।
इजराइल के हाइफा पोर्ट पर अडानी श्रमिकों के विवाद और विरोध से जूझ रहे हैं।
केन्या की सरकार ने अडानी की पॉवर और एयरपोर्ट डील रद्द कर दी।
बांग्लादेश के कोर्ट ने अडानी के बिजली डील की जाँच के आदेश दिए।
ऑस्ट्रेलिया में पहले ही अडानी के ख़लिफ़ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
स्विट्जरलैंड ने अडानी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और जालसाजी की जांच के तहत कई स्विस बैंक खातों में 2617 करोड़ रुपए फ्रीज कर दिए थे।
अमेरिका ने तो धोखाधड़ी और घूस देने के लिए वारंट निकाले ही हैं।
अडानी के तंत्र ने छोड़े झूठे शिगूफे
कांग्रेस ने कहा कि अडानी ग्रुप के दलीलों से अमेरिकी एजेंसियों और वहां के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप धुलेंगे नहीं और ऐसा नहीं है कि भारतीय एजेंसियों ने अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के आरोपों के आधार पर जांच नहीं की है। कांग्रेस ने कहा कि इसी मोदी सरकार के कार्यकाल में सीबीआई ने 2016 में अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस द्वारा लगाए आरोपों के आधार पर ब्राजीलियन जहाज बनाने की कंपनी Embraer  की जांच की थी । इसी मोदी सरकार के कार्यकाल में साल 2018 में सीबीआई ने अमेरिकन कंपनी Louis Berger की करोड़ों की घूस देने के आरोप में जांच की थी। कांग्रेस ने कहा कि आज सुबह सुबह बौखला कर अडानी के तंत्र ने कुछ झूठे शिगूफे छोड़े। यह कुछ नहीं, बस इनकी बौखलाहट और गंभीर आरोपों से बचने के विफल प्रयास हैं।
वकालत का जामा फटाक से पहन कर अडानी के बचाव में उतरे एक वरिष्ठ वकील ने सवेरे सवेरे बताया कि अमेरिका के कोर्ट दस्तावेज में काउंट 1 और काउंट 5 में अडानी या उनके भतीजे का नाम नहीं है। उनका कहना है काउंट 1 Foreign Corrupt Practices Act (FCPA) के उल्लंघन का मामला है, जिसमें अडानी का नाम नहीं है। वो बस बड़ी चतुराई से यह बताना भूल गए कि अमेरिकी FCPA किसी विदेशी नागरिक पर लागू ही नहीं होता, तो अडानी का नाम आता कैसे!
लेकिन उन्ही काउंट में Azure Power का नाम है जो कि एक अमेरिकन कंपनी है और अडानी की पार्टनर भी है। इसमें कोई शक नहीं है कि अमरीकी न्याय विभाग ने अडानी को दोषी ठहराने वाले सबूत पेश किए हैं।
लगता है भ्रमित करने वालों ने शायद ग्रैंड जूरी के आरोप पढ़े ही नहीं है-जिसमें साफ़ तौर कहा गया है कि गौतम अडानी, सागर अडानी और अन्य लोगों ने भारत में रिश्वत देने, रिश्वत की पेशकश करने, रिश्वत का वादा करने की एक योजना तैयार की जिस घूस के बदले भारत सरकार बिजली कंपनियों को केंद्रीय PSU SECI के साथ बिजली ख़रीदने के करार के लिए बाध्य करेगी (Para 47)
इसमें यह भी कहा गया है कि उन्होंने राज्य की बिजली वितरण कंपनियों द्वारा PSAs को लागू करवाने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को करीब 2,029 करोड़ रुपए (लगभग 265 मिलियन डॉलर) की रिश्वत दी साथ ही और घूस देने का वादा किया (Para  49)
इसके अलावा इसमें सबसे उच्चतम स्तर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है. कहा गया है कि सागर अडानी और विनीत जैन ने 2.3 GW PPA आवंटित करने वाली प्रक्रिया को भी ग़लत तरीक़ों से प्रभावित किया (Para 70)
याद रहे SECI मतलब Solar Energy Corporation of India केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत एक पब्लिक सेक्टर कंपनी है।

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