‘‘बोले- तीनों प्राधिकरण किसानों से करें बात’’
नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) संयुक्त किसान मोर्चे की ग्रेटर नोएडा के जीरो पॉइंट पर महापंचायत शुरू हो गई है। इस पंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पहुंच गए हैं। जीरो पॉइंट पर किसानों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस बार बड़ी संख्या में महिला किसान भी इकट्ठा हुईं हैं। हालांकि नोएडा में अपने मुद्दों को लेकर कई महीनों से संघर्ष कर रहे किसान संगठनों ने इस महापंचायत से किनारा कर लिया है। इसमें सुखबीर खलीफा समेत अन्य किसान नेताओं का संगठन शामिल है।
महापंचायत में पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि तीनों प्राधिकरण बैठकर किसानों से बातचीत करें। देश में सब चीज के रेट बढ़े हैं, लेकिन जमीन के रेट क्यों नहीं बढ़े? क्या किसानों की जमीन सस्ते दामों पर चली जाएगी। ये आंदोलन पूरे देश में चलेंगे। अगर सरकारें नहीं मानीं तो आंदोलन तेज होगा। अलग-अलग जगहों के अलग-अलग मुद्दे हैं। यहां का भूमि अधिग्रहण का है, दूसरी जगह एमएसपी गारंटी का है। कहीं छात्रों पर लाठीचार्ज हो रहे हैं, हर जगह कमेटी बनी हुई है। यहां गौतम बुद्ध नगर में भूमि अधिग्रहण का मामला है। सरकार और प्राधिकरण बैठकर बातचीत करें।
भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने कहा कि परिषद का कोई भी सदस्य और पदाधिकारी महापंचायत में शामिल नहीं होगा। पंचायत से पहले मंच और आने वाले किसानों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है। यहां टेंट लगा दिए गए हैं। इसके अलावा पुलिस का सख्त इंतजाम भी किया गया है। पंचायत में बुलंदशहर, मेरठ, अलीगढ़, मथुरा, हापुड़ मंडल के किसान शामिल होंगे। हालांकि जब इस धरने की शुरुआत हुई थी, तब सभी संगठन एक साथ थे। पुलिस प्रशासन की ओर से जीरो पॉइंट पर सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं। गौरतलब है कि इस महापंचायत में जिन मुद्दों पर चर्चा होगी, उनमें किसानों को 64.7 परसेंट मुआवजा और 10 प्रतिशत प्लॉट किसानों को देने और 2013 भूमि बिल अधिग्रहण कानून लागू करने के मुद्दे शामिल हैं। इसके अलावा सरकार एवं प्राधिकरण की गलत नीतियों के द्वारा धरने को खत्म करने का प्रयास और संयुक्त मोर्चे के साथियों को जबरदस्ती उठाकर जेल में बंद करने के मुद्दे पर भी चर्चा होगी।
किसानों का कहना है कि जब तक समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक वे आंदोलन करते रहेंगे। इससे पहले भी जीरो पॉइंट पर ही महापंचायत के लिए पहुंचे किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उनमें से कई किसान नेता और किसान अभी भी जेल में बंद हैं, जिनकी रिहाई के लिए लगातार अलग-अलग किसान संगठन प्रयास कर रहे हैं।
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