नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) बिहार की बीपीएससी प्री- परीक्षा को रद्द करवाने के लिए अभ्यर्थी लगे हुए हैं। वहीं अब जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी छात्रों को न्याय दिलाने के लिए आमरण अनशन का ऐलान कर दिया है। बता दें कि राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर पिछले चार दिनों से पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे हुए है। इस बीच अब बीपीएससी की प्री-परीक्षा रद्द करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें इस परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में आरोप है कि परीक्षा में धांधली हुई है और इसमें शामिल एसपी और डीएम को निलंबित करने की भी अपील की गई है।
13 दिसंबर की परीक्षा विवाद
आपको बता दें कि बीपीएससी द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित की गई संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में धांधली के आरोप लगे थे। कुछ अभ्यर्थियों ने बापू परीक्षा केंद्र पर आयोजित परीक्षा का बहिष्कार किया था, जिसके बाद बिहार लोक सेवा आयोग ने 12000 उम्मीदवारों के लिए पुनः परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया। इसके बाद, 4 जनवरी को शहर के विभिन्न केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की गई।
परीक्षा में धांधली के आरोप
परीक्षा में धांधली के आरोपों को लेकर छात्रों का विरोध जारी रहा। छात्रों का कहना था कि केवल बापू परीक्षा केंद्र पर ही नहीं, बल्कि अन्य केंद्रों पर भी कदाचार हुआ है। उन्होंने अधिकारियों को ‘सबूत’ भी मुहैया कराए थे। हालांकि, बीपीएससी ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा कि सभी अन्य केंद्रों पर परीक्षा सही तरीके से हुई थी।
छात्रों की मांग
विरोध कर रहे छात्र अब यह मांग कर रहे हैं कि राज्यभर के सभी केंद्रों पर हुई परीक्षा को रद्द किया जाए और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए एक नई परीक्षा आयोजित की जाए। उनका कहना है कि 911 केंद्रों पर आयोजित परीक्षा में पांच लाख से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया था और सभी उम्मीदवारों के लिए एक समान अवसर मिलना चाहिए।
राजनीतिक दलों का समर्थन
हालांकि, इस आंदोलन को विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं का समर्थन भी मिला है। कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा, और माकपा के कई विधायक और नेता प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों के साथ खड़े हैं। इसके अलावा निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी छात्रों का समर्थन किया है।
शिकायतों पर बीपीएससी का जवाब
वहीं इस पूरे मामले पर बीपीएससी का कहना है कि बिहार के बाकी 911 केंद्रों पर परीक्षा ठीक से हुई थी और किसी भी अभ्यर्थी ने वहां कोई शिकायत नहीं की थी। बीपीएससी ने यह भी कहा कि परीक्षा में धांधली के आरोपों की जांच की जा चुकी है और उनके पास कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं जो पूरे राज्यभर में धांधली को साबित कर सके।
आंदोलन और परीक्षा रद्द करने की मांग
बीपीएससी परीक्षा को लेकर छात्रों के बीच गहरी नाराजगी है और वे समान अवसर की मांग कर रहे हैं। फिलहाल, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और वहां से आगे की दिशा का निर्णय लिया जाएगा। छात्रों ने यह भी कहा है कि बीपीएससी की परीक्षा पूरी तरह से निष्पक्ष होनी चाहिए और इसमें कोई भी धांधली नहीं होनी चाहिए।