भारतीय अर्थव्यवस्था को बडा झटका : शेयर बाजार में डूबे लाखों करोड़

नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) देश की अर्थव्यवस्था का आईना शेयर बाजार होते हैं। भारतीय शेयर बाजारों में हाहाकार मचा हुआ है। जबकि ज्यादातर अन्य एशियाई बाजारों जैसे टोक्यो, बैंकॉक, सियोल, हांगकांग और जकार्ता के बाजारों में हरे निशान में कारोबार हो रहा है। आज भी लगभग मंगलवार जैसे हालात है। शेयर बाजारों ने खुलते ही डुबकी लगाई। गौरतलब है कि मंगलवार को एक दिन में रिकार्ड 9 लाख करोड़ रूपये निवेशकों का डूब चुका था। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या अर्थव्यवस्था इस समय के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। क्योंकि नौकरियों में संकट, बेरोजगारी चरम पर है, मंहगाई ने जीना दूभर कर रखा है। आरबीआई की मौद्रिक नीति का भी असर फिलहाल नहीं दिखायी दे रहा है। ऐसे में फाइनेंशियल एक्सपर्ट लोगों को बचत के साथ कम खर्च करने की सलाह दे रहे हैं।
बेरोजगारी की समस्या
भारत में बेरोजगारी की दर बढ़ती जा रही है, जिससे युवा वर्ग खासा प्रभावित है। लाखों लोग नौकरी की तलाश में हैं, लेकिन नौकरियों की कमी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण उन्हें सफलता नहीं मिल रही। यह स्थिति न केवल उनके लिए मानसिक तनाव का कारण बन रही है, बल्कि समग्र अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
महंगाई की वृद्धि
भारत में महंगाई लगातार बढ़ रही है, जिससे आम जनता की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। खाद्य पदार्थों, ईंधन, और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। महंगाई के कारण जीवन स्तर घटने लगा है और खर्चे बढ़ते जा रहे हैं।
रुपये का गिरता मूल्य
रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रहा है, जिससे भारत में आयातित वस्त्रों, तेल, और अन्य आवश्यक सामानों की कीमतें बढ़ रही हैं। इससे देश की महंगाई दर भी बढ़ रही है। रूपये का कमजोर होना आम नागरिकों की जेब पर सीधा असर डालता है, क्योंकि वस्तुओं की कीमतें बढऩे से उनका जीवन यापन और कठिन हो जाता है।
पता नहीं किस दुनिया में रहती हैं वित्त मंत्री : प्रियंका
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पता नहीं कि वह किस दुनिया में रहती हैं कि उन्हें महंगाई और बेरोजगारी नहीं दिखाई दे रही है। सीतारमण ने लोकसभा में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारण हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय मुद्रास्फीति दहाई के अंक में थी और 10 से अधिक पहुंच गई थी, लेकिन अब ऐसी स्थिति बिल्कुल नहीं है।
2000 के बाद शेयर बाजार में यह सबसे लंबा व बुरा दौर : नरेंद्र नाथ मिश्रा
आर्थिक मामलों पर अपने विचार रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्रा ने कहा है कि हालात कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2000 के बाद शेयर बाजार में यह सबसे लंबा व बुरा दौर है लगातार बाजार गिरने का। 2008 और 2020 कोविड में भी लगातार पांच महीने बाजार एक सुर में नहीं गिरा था।
बायंग कैपेसिटी घट रही
धीरे-धीरे चीजें आम आदमी की पकड़ से दूर जा रही है, बायंग कैपेसिटी घट रही है और जीवन जीने के स्तर में कमी पेश आ रही है। रूपये के गिरते मूल्य ने विदेश में पढ़ाई कर रहे छात्रों के साथ इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पर व्यापक असर डाला है। एक्सपर्ट की नजर में यह गिरावट कहां जाकर रूकेगी किसी को पता नहीं क्योंकि पूरे विश्व में ट्रंप की ताजपोशी के बाद अनिश्चित की स्थति बनती जा रही है। ट्रंप के फैसले किस वक्त कहां पर कैसे इम्पेक्ट करें पता नहीं। इजरायल-फिलिस्तीन के बाद ईरान-अमेरिका की जंग मुहाने पर खड़ी है। चाइना-रशिया-ईरान ट्रैंगिल का क्या असर होगा यह भी अभी पता नही हैं।
कुछ महीनों से भारतीय शेयर बाजार कर रहा गिरावट का सामना
शेयर बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ निवेशक अपने धन को निवेश करते हैं, और उम्मीद करते हैं कि वह भविष्य में लाभ अर्जित करेंगे। लेकिन पिछले कुछ महीनों से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सामना करना पड़ा है। नकारात्मक वैश्विक आर्थिक संकेतकों, राजनीति में अस्थिरता और अन्य आंतरिक मुद्दों के कारण शेयर बाजार में यह गिरावट देखी जा रही है। निवेशकों के लिए यह समय बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया है। सिर्फ मंगलवार को बड़ी गिरावट के कारण बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का मार्केट कैप 9 लाख करोड़ रुपये गिरकर 408 लाख करोड़ रुपये हो गया है। आज बुधवार को भी कारोबारी सत्र में शेयर बाजार बड़ी गिरावट के साथ खुले। बाजार में चौतरफा बिकवाली देखी गयी। सुबह 9ः33 बजे तक सेंसेक्स 428 की गिरावट के साथ 75,864 और निफ्टी 130 अंक की गिरावट के साथ 22,958 पर था। बिकवाली का सबसे अधिक दबाव मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में देखने को मिल रहा है।
निवेश में विवेक का प्रयोग करें
शेयर बाजार में निवेश करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपने अपनी पूंजी को विविधता में निवेश किया है। केवल एक या दो क्षेत्रों में निवेश करने के बजाय विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करें, ताकि जोखिम कम हो सके। महंगाई के इस दौर में अपनी बचत पर ध्यान देना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। खर्चों को नियंत्रित करने और आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी में विवेकपूर्ण निर्णय लेने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य और शिक्षा पर ध्यान दें लोग
बेरोजगारी और आर्थिक दबाव के बावजूद, अपनी शिक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखें। यह समय सीखने और कौशल विकास का है, जो भविष्य में नए अवसरों को जन्म दे सकता है। आर्थिक स्थिति की समझ और वित्तीय साक्षरता को बढ़ाना जरूरी है। इससे व्यक्ति को अपने वित्तीय निर्णय लेने में मदद मिल सकती है और आर्थिक संकट से निपटने में वह सक्षम हो सकता है। सरकार द्वारा पेश की गई योजनाओं और योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करें। सरकार गरीब और असहाय वर्ग के लिए कई योजनाएं चलाती है, जिन्हें समझ कर उनका लाभ उठाया जा सकता है। अगर नौकरी की तलाश में कठिनाई हो रही है, तो स्व-रोजगार का विकल्प चुन सकते हैं। छोटे व्यवसाय या फ्रीलांसिंग जैसे अवसरों की तलाश करें, जो अधिक लचीलापन और आय के स्रोत प्रदान कर सकते हैं।

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