बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले कन्नौज जिले में 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने सेंधमारी कर जिले की तीन में 2 विधानसभाओं पर कब्जा किया था फिर उसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने बड़ी सेंधमारी कर 28 साल पुरानी लोकसभा सीट पर कब्जा कर लिया था। 2017 में तीनों विधानसभाओं पर एक साथ कब्जा करने का सपना पूरा न करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने 2022 में अपना सपना पूरा करने के लिए एक ऐसी रणनीति बनाई जिसने सबको चौका दिया।
क्या है भाजपा का नया प्रयोग
2017 विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में भाजपा ने पूरे उत्तरप्रदेश में प्रचंड जीत लाकर सबको चौका दिया था इस प्रचंड जीत में समाजवादी पार्टी का किला कहे जाने वाले कन्नौज जिले में सेंधमारी करते हुए भाजपा ने जिले की तीन विधानसभा में दो पर यानि छिबरामऊ और तिर्वा विधानसभा पर कब्जा कर लिया था लेकिन तीसरी कन्नौज सदर विधानसभा सुरक्षित सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। कन्नौज की सदर विधानसभा सीट पर लगातार तीन बार से समाजवादी पार्टी के विधायक अनिल दोहरे चुनाव जीतते आ रहे है। अब एक बार फिर 2022 विधानसभा चुनाव सामने है ऐसे में भाजपा ने छिबरामऊ तिर्वा के साथ साथ कन्नौज की सदर विधानसभा से जीत हासिलकर सपा के किले पर पूरी तरह से कब्जा करने का मन बना लिया है यही कारण है सपा की मजबूत कही जाने वाली सदर विधानसभा सीट पर भाजपा ने सपा को हराने के लिए एक नया प्रयोग किया है। भाजपा ने इस विधानसभा सीट से पूर्व पुलिस कमिश्नर आईपीएस असीम अरुण को नौकरी से वीआरएस दिलवाकर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा है। हालांकि भाजपा के इस नए प्रयोग से पार्टी के अंदर स्थानीय लेबल पर वर्षो से भाजपा की सेवा करने वाले लोगो को झटका लगा है जो इस बार फिर विधानसभा चुनाव लड़ने का सपना देख रहे थे। फिलहाल 20 फरवरी को कन्नौज जिले में मतदान होना है भाजपा ने कन्नौज सदर सीट पर सपा का तिलस्म तोड़ने के लिए एक आईपीएस अधिकारी असीम अरुण का सहारा लिया है तो वही समाजवादी पार्टी ने तीन बार से चुनाव जीत रहे अनिल दोहरे पर चौथी बार विश्वास जताते हुए मैदान में उतारा है। अब आने वाली 10 मार्च को यह देखने वाला होगा कि क्या भाजपा अपने इस नए प्रयोग में कामयाब हो पाती है। क्या समाजवादी पार्टी अपने किले को बचा पाती है।