नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) कर्नाटक में जातिगत जनगणना के आधार पर ओबीसी के लिए आरक्षण को 32 फीसदी से बढ़ाकर 51 फीसदी करने की सिफारिश की गई है। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, ओबीसी की आबादी 70 फीसदी है। अगर यह लागू होता है, तो कुल आरक्षण 85 फीसदी तक हो जाएगा… सरकार 17 अप्रैल को इस पर फैसला लेगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की 50 फीसदी सीमा चुनौती बन सकती है।
कर्नाटक में जातिगत जनगणना के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी ) के लिए आरक्षण को 32 फीसदी से बढ़ाकर 51 फीसदी करने की सिफारिश की गई है। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने यह रिपोर्ट फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सौंपी। अगर यह लागू होता है, तो एससी/एसटीके 24 फीसदी और ईडब्लूएस के 10 फीसदी को मिलाकर कुल आरक्षण 85 फीसदी तक पहुंच जाएगा।
इस सिफारिश को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जातिगत जनगणना की मुहिम से जोड़ा जा रहा है, जिन्होंने ’जितनी आबादी, उतना हक’ का नारा दिया। उनकी इस मुहिम ने कर्नाटक में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग को बल दिया। रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक की 70 फीसदी आबादी ओबीसी है, जिनकी जनसंख्या 4.16 करोड़ है। एससी एसएसटी की जनसंख्या क्रमशः 1.09 करोड़ और 42.81 लाख है। आयोग का कहना है कि जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण से सरकारी सुविधाएं और नौकरियां सभी तक समान रूप से पहुंचेंगी। आयोग ने क्षैतिज आरक्षण का भी सुझाव दिया, जिसमें ओबीसी और अन्य वर्गों में महिलाओं व दिव्यांगजनों के लिए अलग कोटा होगा। यह सर्वेक्षण 2015 में शुरू हुआ था और जयप्रकाश हेगड़े ने इसे पूरा किया। 17 अप्रैल को सरकार इस पर कैबिनेट बैठक करेगी। राहुल गांधी की मुहिम ने ओबीसी और दलित समुदायों में उम्मीद जगाई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की 50 फीसदी आरक्षण सीमा के चलते कानूनी चुनौतियां हो सकती हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की 50 फीसदी आरक्षण सीमा के चलते कानूनी चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं…
