बृजेश चतुर्वेदी
लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) लखनऊ में 60 हजार 244 नए पुलिस जवानों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया, ऐसे वक्त में जब यूपी के नए डीजीपी बने हैं राजीव कृष्ण, योगी के 8 साल का कार्यकाल पूरा हुआ है। यूपी और लखनऊ की सियासत नए मोड़ पर पहुंच गई है, 2027 का चुनाव नजदीक है, उस वक्त शाह ने शब्दों से यूपी की राजनीतिक के कई जवाब दे दिए। शाह ने अपने बयान में ये भी साफ कर दिया कि केशव प्रसाद मौर्य बेशक डिप्टी सीएम के पद पर हैं लेकिन उनका वजूद शाह की नजरों में सिर्फ नेता का नहीं बल्कि मित्र का है। इसीलिए संबोधन के दौरान सबके नाम से पहले श्री लगाया लेकिन केशव के नाम के पहले मित्र शब्द जोड़ा।
यहां योगी आदित्यनाथ का जिक्र शाह ने नए तरीके से किया, अमित शाह के मुंह से पहली बार खुले मंच पर योगी आदित्यनाथ की तारीफ निकली है। अपने संबोधन की शुरुआत में ही अमित शाह ने योगी को लोकप्रिय और सफल मुख्यमंत्री का तमगा दिया।”
अब इन तीन शब्दों का मतलब समझिए। पिछले कुछ सालों से केशव प्रसाद मौर्य का न सिर्फ राजनीतिक वजूद कम हुआ है, बल्कि चुनाव में भी उन्हें हार मिली है। केशव पिछड़ा समाज से आते हैं। 2027 के चुनाव में पिछड़ों-अगड़ों की लड़ाई अखिलेश यादव की ओर से शुरू की जाएगी, योगी आदित्यनाथ को ठाकुर विशेष का नेता कहा जाएगा। इसलिए केशव प्रसाद मौर्य का कद शाह ने यूपी की सियासत में मित्र कहकर बढ़ा दिया और 8 साल बाद केशव प्रसाद मौर्य को इशारे- इशारे में ये भी कहा कि जो शाह का मित्र होता है, पार्टी उसे
नजरअंदाज नहीं करती है। इसका मतलब ये है कि भविष्य में शाह केशव को कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं, जिसमें उन्हें यूपी बीजेपी का अध्यक्ष या पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
अब आते हैं योगी आदित्यनाथ पर। योगी की तारीफ शाह ने की तो उसका संदेश क्या था? यूपी की सियासत में मौजूद हलचल के बीच शाह ने ये संदेश दिया कि दिल्ली दरबार योगी को सफल और लोकप्रिय मुख्यमंत्री मानता है। बीजेपी के विधायकों, पार्टी के नेताओं और यूपी के सांसदों-विधायकों को शाह ने खुला संदेश दिया है कि दिल्ली दरबार योगी को सफल मुख्यमंत्री मानता है इसमें तनिक भी शक की गुंजाइश नहीं है। जिस वक्त शाह योगी की तारीफ कर रहे थे, उस वक्त मंच पर योगी का रिएक्शन क्या था, जरा ये भी देखिए। एक गंभीर नेता की तरह योगी बिना मुस्कुराए ताली बजाकर शाह की बात को स्वीकार करते हैं लेकिन योगी के चेहरे पर दुख भी साफ दिखाई दे रहा था कि ये बात शाह को कहने में 8 साल क्यों लगे? शाह ने इन तीन शब्दों से ये भी समझा दिया कि यूपी की सियासत में बीजेपी साल 2027 के लिए क्या रणनीति बनाएगी?
रणनीति नंबर 1 बीजेपी केशव को आगे करके अखिलेश यादव के जातिगत नैरेटिव को रोकेगी और पीडीए को बेदम करेगी.
रणनीति नंबर 2 जातिगत जनगणना इस देश
में हो रही है, तो बीजेपी अपने पिछड़े समाज के नेताओं को मंच पर आगे करेगी।
रणनीति नंबर 3 बीजेपी 2027 में योगी के
चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी, केशव को यूपी की कमान मिल सकती है। यूपी में बंपर जीत के बाद केशव को राष्ट्रीय अध्यक्ष का मौका भी मिल सकता है हालांकि योगी समर्थकों को ऐसा लगता है कि शाह ने केशव को मित्र बताकर योगी आदित्यनाथ का कद घटाया तो नहीं लेकिन केशव का कद यूपी की सियासत में सबसे बड़ा कर दिया और इसका त्वरित लाभ भी शीघ्र ही फलित भी होगा। मानसून सत्र से पहले प्रस्तावित मंत्रिपरिषद फेरबदल में केशव लोक निर्माण मंत्री के रूप में नज़र आएंगे।