भारत के प्राचीन व्यवसाय के प्रतीक हैं पशु मेले

( पशुओं में हरियाणा का मुर्रा और ताऊ का तुर्रा अपनी खास पहचान रखता है। हरियाणा में हाल ही में तीन दिन (25 -26 -27  फ़रवरी ) को पशु मेले का आयोजन भिवानी जिले में किया गया। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेला अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू हुए।)

-सत्यवान ‘सौरभ’

भारतीय राज्य हरियाणा में  हाल ही में तीन दिन (25 -26 -27 फ़रवरी) को पशु मेले का आयोजन भिवानी जिले में किया गया। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेला अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू हुए। राज्य स्तरीय पशु मेलों के आयोजन में नगरपालिका और ग्राम पंचायतों के साथ-साथ हरियाणा सरकार की ओर से पशुपालकों को पानी, पशु चिकित्सा व टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध भी करवाई गयी। सरकार की ओर से पशुपालन विभाग द्वारा इन मेलों में समय-समय पर प्रदर्शनी और अन्य ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। प्रदर्शनी में 12 नस्लों के पशुओं में 53 प्रकार की प्रतियोगिताएं हुई। प्रदर्शनी में उत्तम नस्ल के घोड़े, झोटे, बैल, गाय पशु देखने को मिलें वहीं दूसरी बाहुबली नामक ऊंट का नृत्य/करतब देखने को मिला।

हरियाणा पशुओं की उत्तम और उन्नत नस्लों में देशभर में जाना जाता है। जिसमें सबसे पहला नाम मुर्रा का आता है। पशुओं में हरियाणा का मुर्रा और ताऊ का तुर्रा अपनी खास पहचान रखता है। तीन दिन तक चले भिवानी के राज्य स्तरीय पशु प्रदर्शनी में पूरे प्रदेश से उमदा नस्ल के पशुओं का आगमन हुआ। मेले का आयोजन बड़े स्तर पर किया गया कई किसान बहुत अच्छी नस्लों के बैल लेकर आये। लोगों ने  पशुओं को रैंप-वॉक करते हुए देखा.  कई जगहों पर पशु-शो आयोजित किए गए, जिसके चलते पशुपालकों को जानवरों की नयी नस्लों और सर्वश्रेष्ठ नस्लों के बारे में पता लगा. पशु बहुत अच्छे ढंग से व्यवस्थित किये गये। इस कैटल फेयर में एक जबरदस्त ऑफर भी दिया गया, पशुपालकों को प्रदर्शनी में भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की गयी. प्रदर्शनी में सर्वोत्तम नस्ल के पशुओं को लाने और उनका खर्च पशुपालन विभाग द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार वहन किया गया. यही नहीं, विभाग के द्वारा पशुपालकों और पशुओं के भोजन की भी व्यवस्था की गयी.

38वीं राज्य स्तरीय पशुधन प्रदर्शनी में कारी रूपा के महंत का घोड़ा अव्वल रहा तो असावरी के प्रद्युम्न का घोड़ा द्वितीय रहा। दादूपुर के सतबीर की हरियाणा नस्ल गाय ने बाजी मारी और प्रथम रही। पशुधन प्रदर्शनी में प्रतिदिन अलग-अलग नस्ल के पशुओं की प्रतियोगिताओं में पशुपालकों को प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रतियोगिताओं में दो से चार दांत अश्व श्रेणी में दादरी जिला के गांव कारी रूपा के महंत के अश्व ने प्रथम, गांव असावरी जिला चरखी दादरी निवासी प्रद्युम्न के अश्व ने द्वितीय और बालसमंद जिला हिसार निवासी पवन के अश्व ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार करनाल जिले के दादूपुर खुर्द निवासी सतबीर सिंह की साहीवाल नस्ल की दुधारू गाय ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार करनाल जिले के तरावड़ी निवासी अनुज कुमार की गाय ने द्वितीय व तरावड़ी के ही निवासी नवदीप की गाय ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।

भैंसों की हरियाणा नस्ल के प्रजनन योग्य नर में पानीपत के नरेंद्र के झोटे ने प्रथम स्थान, मोखरा निवासी कृष्ण कुमार के झोटे ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार साहीवाल प्रजनन योग्य सांड श्रेणी में तरावड़ी निवासी नवदीप का सांड़ प्रथम, जिला पानीपत के गांव डिडवानी निवासी नरेंद्र का सांड दूसरे स्थान पर व रोहतक जिले के गांव कन्हेली निवासी युवराज खुराना के सांड़ ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। प्रदर्शनी में हरियाणा नस्ल की दुधारू गाय श्रेणी में झज्जर जिले के गांव खरमाण निवासी सतबीर की गाय प्रथम, गांव दादूपुर खुर्द जिला करनाल निवासी राजबीर की गाय द्वितीय और गांव अखेड़ी मदनपुर जिला झज्जर की गाय ने तृतीय स्थान प्राप्त किया । इसी प्रकार साहीवाल गाय दो से चार दांत श्रेणी में जिला झज्जर निवासी अशोक की गाय ने प्रथम, बादली निवासी कुलबीर की गाय ने द्वितीय व रोहतक निवासी युवराज खुराना की गाय ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।

भारत में मेले कई रूपों में भरते हैं जिसमें पशु मेला का भी एक ख़ास महत्व हैं. भारत के कई राज्य हैं जहां के पशु मेले काफी फेमस हैं. जहां उत्तम नस्ल के पशु आसानी से कम दामों पर मिल जाते हैं. अगर आप डेयरी व्यवसाय या पशुपालन का काम बड़े स्तर पर करना चाहते हैं तो इसके लिए उन्नत नस्ल के पशु आप भारत में विभिन्न स्थानों पर लगने वाले प्रसिद्ध मेलों से कम दाम पर खरीद सकते हैं. भारत में सबसे बड़ा पशु मेला बिहार में लगता है. जबकि सबसे ज्यादा मेले राजस्थान में लगते हैं. सोनपुर पशु मेला,रामदेवी जी पशु मेला,पुष्कर पशु मेला,महाशिवरात्रि पशु मेला,नागपुर का पशु मेला,बटेश्वर का पशु मेला,श्री मल्लीनाथ पशु मेला बाड़मेर के अलावा और भी कई पशु मेले लगते हैं जिसमें बैल, ऊंट, घोड़े और कई तरह के पशु ख़रीदे और बेचे जाते हैं।

हरियाणा जैसे छोटे से राज्य में पशु पालन को बड़ा जोर-शोर से बढ़ावा दिया जा रहा है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने हरियाणा में 100 रुपये के शुल्क से पालतू पशु का बीमा करने की सस्ती स्कीम जारी की है, जिससे किसानों का पशुधन सुरक्षित और जोखिम रहित रहता है। फलस्वरूप आज फिर से दूध उत्पादन में हरियाणा को नंबर वन बनाने का संकल्प सरकार द्वारा दोहराया जा रहा है। देश के बाकी राज्यों को भी हरियाणा की तर्ज पर ऐसे आयोजन करने चाहिए जिससे उनके पशुपालकों को भी पशुपालन के प्रति प्रोत्साहन मिले।

Check Also

एनडीए सरकार को झटका : ईडी को फटकार

‘‘सोनिया गांधी व राहुल गांधी को नोटिस जारी करने से कोर्ट ने किया इनकार‘‘‘‘नेशनल हेराल्ड …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *