फर्रुखाबाद। (आवाज न्यूज ब्यूरो) भारतीय शास्त्रों में हमेशा सेे प्रकृति और मानव के बीच संबंधों को मजबूत करते हुए त्योहार मनाये जाने की परंपरा रही है। महिलाओं की साधना से जोडकर ज्येेष्ठड्ढ की अमावश्या वट सावित्री पूजा जिसमें सावित्री सत्यवान के प्राणों को यमराज के चंगुल से अपनी साधना के बल पर बचा कर लाती है। इस दिन महिलाएं वटवृृक्ष की पूजा करके पतियों की लंबी आयु की कामना करती हैं। इसी क्रम मेें सोमवार को भी वट सावित्री पूजा का क्रम सुबह से शुरु हो गया।
खासतौर से नवविवाहिताओं में पूजा का विशेष क्रेज देखने को मिला। वहीं बड़ी उम्र की महिलाओं ने पूरी श्रद्घा और साधना ेसाथ पूजा अर्चना की व प्रभु से अमर सुहाग और पति की लंबी आयु की कामना की। तमाम महिलाओं ने वरगद के वृक्षों के पास जाकर उन्हें पीले डोरे पहनाये और सात परिक्रमा करके व्रत को तोड़ा। वहीं घरों में महिलाओं ने वटवृक्ष की टहनी को गमलों में स्थापितत करके वहाँ पर पूजा अर्चना की। सभी श्रृंगारों से सुसज्जित होकर महिलाओं ने जब सामूहिक आरती उतारी तो भारतीय संस्कृति का वह नजारा सामने आ गया जिसके लिए भारतीय संस्कृति को अलग पहचान मिली है। पटेल पार्क में खड़े वटवृक्ष के पास पूजा करने के लिए तमाम महिलाएं पहुँची वहीं मदारवाड़ी चैराहे पर स्थित प्राइमरी विद्यालय में खड़े वटवृृक्ष की पूजा अर्चना की गयी। इसी तरीके से विभिन्न क्षेत्रों में वटवृक्ष की पूजा करके पति की लंबी उम्र की कामनाएं की जाती रहीं। मंदिरों में भी भक्तोंने पहुँचकर माथा टेका। बुजुर्ग महिलाओं नेे युवा पीढ़ी को वट सावित्री की कथा सुनाकर सदैव पतियों की सेवा करने तथा उन्हें प्रसंन्न रखने की बात कही। गंगा तट पर भी स्नानार्थियों की भीड़ उमड़ी। लोगों ने गंगा स्नान करके पूजा अर्चना का क्रम जारी रखा।
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