राहुल गांधी का बड़ा बयान : ‘तानाशाही’ सरकार के खिलाफ 1942 जैसा ‘करो या मरो’ आंदोलन की जरूरत

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज सोमवार को कहा कि मौजूदा ‘तानाशाही सरकार’ के खिलाफ 1942 में शुरू किए गए ‘‘करो या मरो’’ आंदोलन की तरह एक और ‘‘करो या मरो’’ आंदोलन की जरूरत है।
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की वर्षगांठ पर हिंदी में एक फेसबुक पोस्ट में, गांधी ने कहा कि 8 अगस्त, 1942 को बॉम्बे से शुरू हुए आंदोलन ने अंग्रेजों की रातों की नींद हराम कर दी थी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘उस अगस्त की शाम को, लोग बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में इकट्ठा होने लगे और गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जिसके साथ भारत में ब्रिटिश शासन का अंतिम अध्याय शुरू हुआ।’’
उन्होंने कहा कि अपनी जान की परवाह किए बगैर देश के लाखों लोग इस आंदोलन का हिस्सा बने जिसमें करीब 940 लोग शहीद हुए और हजारों गिरफ्तार किए गए। गांधी ने कहा, ‘आज भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की वर्षगांठ पर, मैं उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘आज तानाशाही सरकार के खिलाफ एक और श्करो या मरोश् आंदोलन की जरूरत है और देश की रक्षा के लिए अब समय आ गया है जब अन्याय के खिलाफ बोलना जरूरी है। तानाशाही, महंगाई और बेरोजगारी को भारत छोड़ देना चाहिए।’

उनकी टिप्पणी के कुछ दिनों बाद गांधी ने आरोप लगाया कि भारत ‘‘लोकतंत्र की मृत्यु’’ देख रहा है और जो कोई भी लोगों के मुद्दों को उठाता है और तानाशाही की शुरुआत के खिलाफ खड़ा होता है, उस पर ‘शातिर हमला’ किया जाता है और उसे जेल में डाल दिया जाता है।

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