बिहार में नीतीश कुमार ने ली 8वीं बार सीएम पद की शपथ, तेजस्वी यादव बने डिप्टी सीएम

पटना।(आवाज न्यूज ब्यूरो)  एनडीए से नाता तोड़ने के बाद जेडीयू के नीतीश कुमार ने आरजेडी के तेजस्वी यादव के साथ मिलकर बिहार में दूसरी बार महागठबंधन की सरकार बनाई है। नीतीश कुमार को आरजेडी के अलावा कांग्रेस, वाम दल, हम का समर्थन मिला है। मंगलवार को इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने आज 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस समारोह में तेजस्वी यादव ने भी डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। इसके बाद मंत्रिपरिषद का गठन किया जाएगा। राजभवन में राज्यपाल फागू चैहान ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर तेजस्वी यादव अपनी पत्नी से साथ पहुंचे।
बता दें कि नीतीश कुमार सबसे पहले साल 2000 में सात दिन के मुख्यमंत्री बने थे, जिसके बाद वह अब तक सात बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं। नीतीश कुमार का 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना अपने आप में ही एक बड़ा रिकॉर्ड है।
इस मौके पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि आप हमारी पार्टी के लोगों से पूछ लीजिए कि क्या सबकी स्थिति हुई। मैं मुख्यमंत्री(2020 में) बनना ही नहीं चाहता था। लेकिन मुझे दवाब दिया गया कि आप संभालिए। बाद के दिनों में जो कुछ भी हो रहा था, सब देख रहे थे। हमारी पार्टी के लोगों के कहने पर हम अलग हुए। वहीं, 2024 में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर बिहार सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि नहीं, हमारी किसी भी पद के लिए कोई दावेदारी नहीं है। लेकिन जो 2014 में आए वो 2024 के बाद रह पाएंगे या नहीं?
नहीं, हमारी किसी भी पद के लिए कोई दावेदारी नहीं है। लेकिन जो 2014 में आए वो 2024 के बाद रह पाएंगे या नहीं?
शपथ ग्रहण समारोह के बाद बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि बिहार की जनता के लिए बहुत अच्छा हुआ है। मैं जनता को धन्यवाद देती हूं। सब बहुत खुश हैं।
राजभवन में शपथग्रहण समारोह के दौरान आरजेडी और जेडीयू के नेता मौजूद रहे। इस दौरान बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू यादव के परिवार के अन्य सदस्य राजभवन में मौजूद रहा। लालू प्रसाद यादव दिल्ली में हैं, इसलिए वे शपथग्रहण समारोह में शामिल नहीं हो सके।
जाति जनगणना, जनसंख्या नियंत्रण और श्अग्निपथश् रक्षा भर्ती योजना और कुमार के पूर्व विश्वासपात्र आरसीपी सिंह को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में बनाए रखने सहित कई मुद्दों पर जद (यू) और भाजपा के बीच तनाव के हफ्तों के बाद, मंगलवार की सुबह क्षेत्रीय दल के सभी सांसदों और विधायकों ने मुख्यमंत्री आवास पर सम्मेलन में हंगामा किया।

उन्होंने जो निर्णय लिया वह एनडीए छोड़ने और महागठबंधन के साथ हाथ मिलाने का था, जिसे उन्होंने पांच साल पहले 2017 में खारिज कर दिया था।
समझा जाता है कि सीएम ने पार्टी विधायकों और सांसदों से कहा था कि उन्हें भाजपा द्वारा किनारे कर दिया गया, जिसने पहले चिराग पासवान के विद्रोह और बाद में पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के माध्यम से उनके जद (यू) को कमजोर करने की कोशिश की थी।

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