बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) प्रसव पूर्व से गर्भवती की एचआईवी जांच जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग और अहाना संस्था के संयुक्त प्रयास से जनपद में सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती की एचआईवी एवं सिलफिस जांच कराई जाती है। एचआईवी जांच करने के लिए विशेष रूप से यूपीएनपी प्लस अहाना प्रोग्राम के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि जनपद की सभी गर्भवती की एचआईवी जांच सही तरीके से हो सके । यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ)डा.विनोद कुमार ने दी।
सीएमओ ने बताया कि एचआईवी संक्रमित गर्भवती को यह डर रहता है कि यह संक्रमण होने वाले बच्चे को न हो जाए लेकिन ऐसा नहीं है | यह जरूरी नहीं है कि अगर माता या पिता एचआईवी संक्रमित हैं तो उनके बच्चे भी एचआईवी संक्रमित होंगे। बस जरूरत है समय से इलाज की यदि गर्भवती महिला समय से इलाज शुरु करवा देती है तो होने वाले बच्चे को पर एचआईवी के खतरे से बचाया जा सकता है।
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.शक्ति वसु ने बताया कि एचआईवी शरीर में बाहरी रोगों से लड़ने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। कोई भी गर्भवती महिला एचआईवी ग्रसित पाई जाती है ।तो उसे घबराने की जरूरत नहीं है। समय से जांच और उचित चिकित्सीय परामर्श के जरिए सुरक्षित प्रसव कराया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रसव उपरांत बच्चे की डीवीएस जांच होती है जिसमें सुनिश्चित किया जाता है कि नवजात एचआईवी ग्रसित है या नहीं। एचआईवी ग्रसित गर्भवती का संस्थागत प्रसव आवश्यक है।
डा.वसु ने बताया कि एचआईवी संक्रमित गर्भवती के सुरक्षित प्रसव कराने के लिए जिला अस्पताल में सभी सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध हैं ।
अहाना संस्था के फील्ड ऑफिसर सत्यवीर ने बताया कि प्रीवेन्शन पेरेन्ट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन (पीपीटीसीटी) के तहत गर्भवती की एचआईवी जांच पाज़ीटिव आती है तो उसकी कंफर्मेटरी जांच निकटतम आईसीटीसी पर कराते हैं। उसके बाद भी अगर महिला पॉजिटिव आती है तो उसको एआरटी सेंटर से लिंक करा कर संस्थागत प्रसव करवाया जाता है। शिशु के जन्म के बाद 18 माह तक फॉलोअप भी किया जाता है। उन्होंने ने बताया कि यदि कोई महिला एचआईवी संक्रमित निकलती है तो हम उसके घर पर जाकर विजिट करते हैं और उसकी पूरी काउंसलिंग करते हैं। उन्होंने बताया कि संस्थागत प्रसव के 72 घंटे के अंदर गर्भवती को नेवरापिन सीरप दिलाते हैं जिससे नवजात एचआईवी संक्रमित न हो। प्रसव उपरांत 6 माह, 12 माह ,18 माह पर विशेष जांच करवाई जाती है। उन्होंने बताया कि महिला का पति एचआईवी नेगेटिव है तो हर तीन माह में एचआईवी जांच कराते हैं व एचआईवी ग्रसित मां के बच्चे की भी जांच हर तीन माह में करवाई जाती है ताकि संक्रमण बच्चे में न पहुंचे इसके लिए पूरी सतर्कता बरती जाती है।
अहाना संस्था के फील्ड आफीसर ने बताया कि जनपद में अप्रैल 2021 से अब तक हुई एचआईवी जांच में 22 गर्भवती एचआईवी पॉजिटिव पाई गई हैं । महिलाओं का सुरक्षित संस्थागत प्रसव कराया गया है, जिनकी पूरी देखरेख स्वास्थ्य विभाग और अहाना संस्था द्वारा की जा रही है।