अपने बच्चे को डिप्थीरिया (गलघोंटू) से बचाएं नियमित टीकाकरण कराएँ

टीकाकरण न होने की दशा में  डिप्थीरिया जानलेवा हो सकती है सीएमओ

फर्रुखाबाद | (आवाज न्यूज ब्यूरो) डिप्थीरिया (गलघोंटू) एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमण से फैलती है,  यह अधिकतर बच्चों को होता हैं। संक्रमण से फैलने वाली यह बीमारी किसी भी को हो सकती है। इस बीमारी के होने के बाद सांस लेने में परेशानी होती है। यदि कोई व्यंक्ति इसके संपर्क में आता है तो उसे भी डिप्थीरिया हो सकता है।  इसके लक्षणों को पहचानने के बाद यदि इसका उपचार न करायें तो यह फेफड़ों तक फैल जाता है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनींद्र कुमार का l

 सीएमओ ने बताया कि यह कॉरीनेबैक्टेरियम डिप्थीरिया बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। इसके बैक्टीरिया टांसिल व श्वास नली को संक्रमित करते है। संक्रमण के कारण एक ऐसी झिल्ली बन जाती है, जिसके कारण सांस लेने में रुकावट पैदा होती है और कुछ मामलों में तो मौत भी हो जाती है। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने पांच साल तक के बच्चों का टीकाकरण जरूर कराएं l

उन्होंने बताया कि कायमगंज ब्लॉक अन्तर्गत आने वाले गांव नगला धनी में बच्ची की मौत वाली रिपोर्ट का अभी इंतजार है। 

सीएचसी कायमगंज के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ सरवर इकबाल ने कहा कि जिस बच्ची को अस्पताल लाया गया था वह मृत अवस्था में आई थी। डॉ अमरेश ने उसको देखा तो वह मृत थी पूछने पर परिजनों ने बताया कि सुबह बच्ची के पेट में दर्द हुआ और वह बेहोश हो गई थी l साथ ही कहा कि बच्ची का इलाज निजी चिकित्सालय में चल रहा था l

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ प्रभात वर्मा ने बताया कि यह बीमारी बड़े लोगों की तुलना में बच्चों को अधिक होती है। इस बीमारी के होने पर गला सूखने लगता है, आवाज बदल जाती है, गले में जाल पड़ने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है। इलाज न कराने पर शरीर के अन्य अंगों में संक्रमण फैल जाता है। यदि इसके जीवाणु हृदय तक पहुंच जाये तो जान भी जा सकती है। डिप्थीरिया से संक्रमित बच्चे के संपर्क में आने पर अन्य बच्चों को भी इस बीमारी के होने का खतरा रहता है।

डॉ वर्मा ने कहा कि यदि बच्चेे को नियमित टीके लगवाये जायें तो जान बच सकती है। नियमित टीकाकरण में डीपीटी (डिप्थीरिया, परटूसस काली खांसी और टिटनेस) का टीका लगाया जाता है। एक साल के बच्चे के डीपीटी के तीन टीके लगते हैं। इसके बाद डेढ़ साल पर चौथा टीका और चार साल की उम्र पर पांचवां टीका लगता है। टीकाकरण के बाद डिप्थीरिया होने की संभावना नहीं रहती है।

डॉ वर्मा ने कहा कि जहाँ एनएफएचएस 4 (2015-16) के अनुसार 12 से 23 महीने के 59.5 प्रतिशत बच्चों को डीपीटी या पेंटा का टीका लगा था जो अब बढ़कर एनएफएचएस 5  (2019 -21) के अनुसार 82.7 प्रतिशत हो गया है |यह कहीं न कहीं दर्शाता है कि लोगों में टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है |

डिप्थीरिया के लक्षण  

• इस बीमारी के लक्षण संक्रमण फैलने के दो से पांच दिनों में दिखाई देते हैं।

• डिप्थीरिया होने पर सांस लेने में कठिनाई होती है।

• गर्दन में सूजन हो सकती है, यह लिम्फ नोड्स भी हो सकता है।

• बच्चे  को ठंड लगती है, लेकिन यह कोल्ड से अलग होता है।

• संक्रमण फैलने के बाद हमेशा बुखार रहता है।

• खांसी आने लगती है, खांसते वक्तत आवाज भी अजब हो जाती है।

• त्वचा का रंग नीला पड़ जाता है।

• संक्रमित बच्चे के गले में खराश की शिकायत हो जाती है।

• शरीर हमेशा बेचैन रहता है। 

डिप्थीरिया के कारण  

• यह एक संक्रमण की बीमारी है जो इसके जीवाणु के संक्रमण से फैलती है।

• इसका जीवाणु पीडि़त व्यक्ति के मुंह, नाक और गले में रहते हैं।

• यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने और छींकने से फैलता है।

• बारिश के मौसम में इसके जीवाणु सबसे अधिक फैलते हैं।

• यदि इसके इलाज में देरी हो जाये तो जीवाणु पूरे शरीर में फैल जाते हैं।

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