किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने पर बोले राकेश टिकैत,कृषि कानून और कोरोना एक जैसे, पूरे देश ने दोनों का डटकर सामना किया
नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन को एक साल पूरा हो गया है। भले ही केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया है लेकिन इसके बाद भी किसान आंदोलन वापस लेने के लिए तैयार नहीं हैं। किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने के मौके पर आज गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों किसानों का जमावड़ा लग गया। राकेश टिकैत के साथ आंदोलन में शामिल योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर भी दूसरे किसान नेताओं के साथ गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे। संविधान दिवस के मौके पर पहले सभी ने राष्ट्रगान गाया उसके बाद सभा शुरू की।
इस मौके पर राकेश टिकैत अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के अलावा भी किसानों के मुद्दे हैं। उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके दूसरे मुद्दों के लंबित रहते सिर्फ कृषि कानूनों की वापसी का ही जिक्र किया जाएगा। उन्होंने हमला बोलते हुए कहा कि सरकार 10-15 दिन तक गेम खेलेगी और फिर पूछेगी कि जब कृषि कानून की वापसी हो गई तो किसान बॉर्डर पर क्या कर रहे हैं? राकेश टिकैत ने कहा कि मीडिया भी उनसे यही सवाल पूछेगी? उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि प्रेस और कलम पर भी पहरा लगा हुआ है।
राकेश टिकैत ने तीन कृषि कानूनों को कोरोना की तरह बताया। उन्होंने कहा कि पूरे देश ने कानून और कोरोना का डटकर सामना किया। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जब तीनों कानूनों को संसद से निरस्त कर दिया जाएगा तो फिर यह सवाल उठने लगेगा कि किसान अब भी सीमाओं पर क्यों डटे हुए हैं? इसके साथ ही राकेश टिकैत ने साफ किया कि जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मानी जाती और एमएसपी पर गारंटी कानून नहीं बनता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों से पहले भी उनके पास बीज, खाद, एमएसपी, बैंकिंग और बिजली जैसे सवाल थे। उन्होंने कहा कि इन कानूनों की वजह से किसान डेढ़ साल पिछड़ गए हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि 2011 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे तब उनकी फाइनेंशियल कमेटी ने रिपोर्ट दी थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि एमएसपी जरूरी है। आज जब वह खुद देश के पीएम है तो कानून बनाकर उस पर अपना फैसला क्यों नहीं सुना देते?
श्री टिकैत ने कहा कि पिछले एक साल में आंदोलन की वजह से 150 किसानों की जान जा चुकी है। उन सभी के परिवारों को मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही जिन किसानों पर मुकदमे दर्ज हैं, उनके मुकदमें वापस लिए जाने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में भी इंसाफ की मांग की। राकेश टिकैत ने कहा केंद्र को फिलहाल एमएसपी पर कानून बनाना चाहिए और काबी पर कमेटी बनानी चाहिए. टिकेत ने कहा कि जब सरकार कहती है कि एमएसपी था और रहेगा तो कानून बना देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब विज्ञान भवन में बातचीत हुई थी उस दौरान सरकार ने परावी और बिजली वाली बात मान ली थी। इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि संसद सत्र के दौरान वह आंदोलन पर फैसला करेंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि 27 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होनी है। 29 नवंबर को जहां भी रास्ते खुले मिलेंगे वहां से किसान संसद के लिए कूच करेंगे।