नसबंदी कराने से पुरुषों में नहीं आती कमजोरी, न ही होता वैवाहिक जीवन में बदलाव : डॉ मो. आरिफ़ सिद्दीकी

सिविल अस्पताल लिंजीगंज में सोमवार को लगे शिविर के दौरान हुई पुरुष नसबंदी , 4 दिसंबर तक सिविल अस्पताल लिंजीगंज में लगेंगे पुरुष नसवंदी शिविर 

फर्रुखाबाद |(आवाज न्यूज ब्यूरो) जिले में पुरुष नसबंदी पखवाड़ा चल रहा है जो 4 दिसम्बर तक चलेगा| इस दौरान सिविल अस्पताल लिंजीगंज में प्रतिदिन  इक्छुक लाभार्थियों की  नसबंदी की जाएगी| यह  कहना है परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ दलवीर सिंह का |डॉ सिंह ने कहा  जब बात परिवार नियोजन की आती है तो हमेशा से ही महिलाओं को इसके लिए जिम्मेदार बना दिया जाता है |कापर टी लगवानी  हो या नसबंदी करानी हो इन कामों के लिए महिलाओं को आगे कर दिया जाता है | दरअसल अधिकतर पुरुष सोचते हैं कि नसबंदी कराने से उनकी मरदाना शक्ति कम हो जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं है|डॉ सिंह ने बताया  इस वित्तीय वर्ष में अभी तक एक   पुरुष नसबंदी हो पाई है| आज लगे शिविर में एक पुरुष नसबंदी और हुई | जबकि अप्रैल 21 से अक्टूबर तक लगभग 100 महिला नसबंदी हो चुकी हैं |सिविल अस्पताल लिंजीगंज के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और एनएसवी स्पेशलिस्ट डॉ  मो. आरिफ़ सिद्दीकी का कहना है नसबंदी में शुक्राणु वाहिनी नलिकाओं को बाँध दिया जाता है जिससे शुक्राणु शरीर से बाहर नहीं जा पाते हैं| यह  शरीर में ही घुलकर रह जाते हैं | इस प्रकार शरीर के स्वस्थ रहने में भी सहायक होते हैं | डॉ आरिफ़ का कहना है नसबंदी कराये हुए व्यक्ति का स्वास्थ्य दूसरे  व्यक्ति की तुलना में अधिक अच्छा होता है | नसबंदी के बाद अंडकोष  में हल्का दर्द हो सकता है लेकिन संबंध बनाने में कोई परेशानी नहीं होती है |डॉ आरिफ का कहना है पुरुष नसबंदी पूरी तरह से सुरक्षितप्रक्रिया है | नसबंदी के बाद एक दो दिन का आराम बहुत जरुरी होता है |अधिकतर पुरुष दो तीन दिन बाद काम पर जा सकते हैं |नार्मल फिजिकल एक्टिविटी जैसे भागना, बजन उठाना, साईकिल चलाना आदि काम एक सप्ताह रुक कर शुरू किये जा सकते हैं |महिला नसबंदी की तुलना में पुरुष नसबंदी सरल और अधिक प्रभावी है इसमें  जटिलताएं कम होती हैं |डॉ आरिफ का कहना है  पुरुष नसबंदी कराते ही यह तुरंत प्रभावी नहीं हो जाती है | यह तरीका प्रभावी होने में कम से कम तीन महीने का समय लग जाता है क्योंकि ट्यूब  में स्पर्म रह जाते हैं जो वीर्य के साथ बाहर निकलते हैं |इस समय के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए नहीं तो महिला गर्भवती हो सकती है | तीन महीने के बाद स्पर्म काउंट के टेस्ट के बाद पता किया जा सकता है कि सीमेन में स्पर्म तो नहीं है |जिला कार्यक्रम प्रबंधक कंचन बाला ने बताया  मिशन परिवार विकास कार्यक्रम के तहत आने बाले जिलों में नसबंदी अपनाने वाले पुरुषों को प्रोत्साहन राशि के रुप में 3,000 रुपये और महिलाओं को 2,000 रूपये की राशि दी जाती है। साथ ही नसबंदी के लिए दंपति को अस्पताल लाने वाली आशाओं को पुरुष नसबंदी पर 400 रुपये और महिला नसबंदी पर 300 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। पीपीआईयूसीडी लगवाने वाली  महिला को 300 रूपए और सेवा प्रदाता को 150 रूपए की धनराशि दी जाती है | अंतरा इंजेक्शन अपनाने वाली महिलाओं को 100 रुपये की राशि दी जाती है। वहीं इन महिलाओं को लाने वाली आशा कार्यकर्ता को 100 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

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