प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल शिक्षा के तहत दिया गया प्रशिक्षण
फर्रुखाबाद। (आवाज न्यूज ब्यूरो) प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल शिक्षा के तहत सोमवार को महिला एवं बाल विकास और शिक्षा विभाग के सम्मलित सहयोग से उर्मिला बाटिका फतेहगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और प्राइमरी विद्यालय से अध्यापकों को बच्चों को कैसे होनहार बनायें इस पर एक दिवसीय प्रशिक्षण बेसिक शिक्षा विभाग से मास्टर ट्रेनर उमा रानी, ब्रजेश दुबे, आशीष और उमेश कुमार ने दिया | इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी भारत प्रसाद ने कहा कि बचपन के शुरूआती क्षण महत्त्वपूर्ण होते हैं – और उनका असर जीवन भर रहता है। शिशु के मस्तिष्क का विकास गर्भावस्था के समय ही शुरू हो जाता है, और गर्भवती माता के स्वास्थ्य, खान-पान, और वातावरण का उस पर प्रभाव पड़ता है। जन्म के बाद, शिशु का मस्तिष्क तेज़ी से विकसित होता है, और उसका शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य, सीखने की क्षमता, और व्यस्क होने पर उसकी कमाने की क्षमता और सफलता को भी प्रभावित करता है।खंड शिक्षा अधिकारी ललित मोहन पाल ने बताया कि बच्चा जब 3 वर्ष का होता है तब से लेकर 9 वर्ष तक का होने तक के विकास के सबसे असाधारण वर्ष होते हैं। जीवन में सब कुछ सीखने की क्षमता इन्ही वर्षों पर निर्भर करती है। इस नींव को ठीक से तैयार करने के कई फायदे हैं | स्कूल में बेहतर शिक्षा प्राप्त करना और उच्च शिक्षा की प्राप्ति, जिससे समाज को महत्त्वपूर्ण सामाजिक तथा आर्थिक लाभ मिलते हैं। बढपुर ब्लॉक की सीडीपीओ सुनीता उपाध्याय ने बताया कि प्रारंभिक बचपन के कई अलग-अलग चरण हैं: गर्भधारण से जन्म, जन्म से 3 वर्ष, जिसमें शुरूआती 1000 दिनों (गर्भधारण से 24 महीने) पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिसके बाद आते हैं प्री-स्कूल और प्री-प्राइमरी वर्ष (3 वर्ष से 9 वर्ष, या स्कूल में दाखिले की उम्र)। सुनीता ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 3 वर्ष से 6 वर्ष तक बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर खेल खेल में शिक्षा दी जाये जिसमें बच्चे को अक्षर ज्ञान के साथ साथ अन्य गतिविधियों का भी ज्ञान हो जाये| इसके बाद जब बच्चा प्रायमरी स्कूल में पढने के लिए जाये तब तक उसका मानसिक और शारीरिक विकाश हो चुका हो | इस दौरान शिक्षा विभाग से जिला समन्वयक नागेन्द्र सिंह, डायट मेंटर अर्चना बढपुर ब्लॉक की आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता और अध्यापक मौजूद रहे |