विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है ताकि यह पहचाना जा सके कि एक स्वस्थ पर्यावरण एक स्थिर और उत्पादक समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नींव है। प्रकृति है तो जीवन है, जीवन है तो मानव है, मानव है तो मानवता है। …
Read More »डिजिटल शासन के नए युग में परास्त होते गरीब-प्रियंका ‘सौरभ’
डिजिटल डिवाइड आबादी के अमीर-गरीब, पुरुष-महिला, शहरी-ग्रामीण आदि क्षेत्रों में बनता है। इस अंतर को कम करने की जरूरत है, तभी ई-गवर्नेंस के लाभों का समान रूप से उपयोग किया जा सकेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस की पहल जमीनी हकीकत की पहचान और विश्लेषण करके की जानी चाहिए। प्लेटफॉर्म और …
Read More »खाकी में दिखी समाजसेवा की झलक : जरुरतमंदो को वितरित की खाद्यान्न सामग्री
फर्रुखाबाद। (आवाज न्यूज ब्यूरो) बीते कई दिनों से खाकी में भी समाजसेवा की झलक दिखाई दे रही है। इन दिनों खाकी अभियान चलाकर जरुरतमदों को खाद्यान्न सामग्री,फल वितरित कर रही है। इसी क्रम में थाना मेरापुर में तैनात जवान द्वारा खाद्यान्न सामग्री वितरित करते हुए समाज सेवा की एक झलक …
Read More »पूर्व सांसद फूलन देवी को उत्तर प्रदेश एकता मंच ने अर्पित की श्रद्धाजंलि
फर्रुखाबाद।(आवाज न्यूज ब्यूरो) उत्तर प्रदेश एकता मंच के तत्वाधान में वीरांगना फूलन देवी का शहादत दिवस संगठन के संयोजक जेके बाथम के फतेहगढ़ स्थिति हाथी खाना में मनाया गया।इस मौके पर समाज के लोगों ने फूलन देवी के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वही समाज के …
Read More »बिन बेटी तू था कहाँ, इतना तो ले सोच । यही वंश की बेल है, इसको तो मत नोच ।।
जीवन में आनंद का, बेटी मंतर मूल । इसे गर्भ में मारकर, कर ना देना भूल ।। बेटी कम मत आंकिये, गहरे इसके अर्थ । कहीं लगे बेटी बिना, जगती सारी व्यर्थ ।। बेटी होती प्रेम की, सागर सदा अथाह । मूरत होती मात की, इसको मिले पनाह ।। बेटी …
Read More »क्यों नहीं बदल रही भारत में बेटियों की स्थिति?-प्रियंका ‘सौरभ’
भारतीय परिवार कम से कम एक बेटा होना बहुत जरूरी मानते है। मगर बेटियां समाज और देश के लिए दशा और दिशा तय करती हैं। जिसके बिना न तो कोई तस्वीर मुकम्मल होती है न ही घर, न ही परिवार, न समाज, न देश। शायद समाज में अब भी ऐसे …
Read More »आखिर क्यों बदल रहे हैं मनोभाव और टूट रहे परिवार? 
भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है। कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर दिया है। पत्थर होते हर आंगन में फ़ूट-कलह का नंगा नाच हो रहा है। आपसी मतभेदों ने गहरे मन भेद …
Read More »महिलाओं का कौशल और रोजगार: भारत की प्रगति के आधार
भारत में अधिकांश महिलाओं को न तो सामाजिक सुरक्षा और न ही नौकरी की सुरक्षा। आमतौर पर महिलाओं को कम-कौशल और कम वेतन वाले काम में लगाया जाता है। कौशल कार्यक्रमों में जीवन कौशल, संचार क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता और आत्मविश्वास को एकीकृत करने की भी आवश्यकता है। इसके …
Read More »पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
योगी सरकार ने की 50 लाख की आर्थिक मदद, शहीद के नाम बनेगी एक सड़कपरिवार के एक सदस्य को नौकरी दिये जाने की घोषणाफर्रुखाबाद।(आवाज न्यूज ब्यूरो) जिले की कोतवाली कायमगंज के ग्राम नगला विधि निवासी व हाल निवासी नगला दत्तु 53 वर्षीय विनोद कुमार पाल पुलवामा में आतंकी हमले में …
Read More »भारत में हर साल बिजली करंट से हो रही लगभग 11 हजार कृषि श्रमिकों की मौत
कारण जो भी हो, यह बहुत दुखद है कि हमारे किसान, हमारे देश के खाद्य प्रदाता, अपनी दैनिक दिनचर्या को ईमानदारी से निभाने में मर रहे हैं। नयी योजनाओं के साथ-साथ बिजली के ढीले तार ठीक करना, हाईवोल्टेज बिजली पोल का समाधान ढूंढना, खेत में लगाई जाली से बचना, रात …
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