बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) किसान भाइयों, मौसम के बदलते मिजाज से फसलें बीमार होने की उम्मीद है। ऐसे में कृषि विभाग के जिला कृषि रक्षा अधिकारी अविशॉक सिंह चौहान ने जनपद के किसान भाइयों को रबी फसलों के प्रति सावधान रहने और आवश्यकतानुसार दवा के छिड़काव करने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि ऐसे मौसम में आलू की फसल में पछेती झुलसा व सरसों की फसल में माहूँ कीट का प्रकोप हो सकता है। बताया है कि ऐसे में किसान भाई एतिहात बरतें और रोग के लक्षण दिखाई देते ही फसल सुरक्षा के लिये उचित दवाओं का छिडकाव करें।
श्री सिंह ने बताया है कि आलू की फसल में पिछेती झुलसा रोग के प्रारम्भिक लक्षण पत्तियों पर छोटे हल्के पीले, हरे अनियमित आकार के धब्बे के रूप में दिखाई देते है जो शीघ्र ही बढ़कर बड़े गोल आकार के बड़े धब्बों का रूप ले लेते हैं जो कि अधिक प्रकोप की दशा में पत्तियों के साथ साथ डंठलों पर भी दिखाई देते हैं। जिसकी रोकथाम हेतु मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू पी अथवा काजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू पी नामक दवा की 20 कि०ग्रा० मात्रा को 600 से 800 सी0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेअर की दर से छिड़काव कर रोकथाम की जा सकती है।
उन्होंने बताया है कि सरसों की फसल की सुरक्षा हेतु सरसों सहित अन्य तिलहनी फसलों में माहूँ कीट का प्रकोप होने पर नीमआयल 0.15 प्रतिशत ई० सी० 02 ली० दवा की मात्रा को 500 ली० पानी में घोल कर छिडकाव करें कीट का अधिक प्रकोप होने पर थायोमेथॉक्सोम 25 प्रतिशत डब्ल्यू जी 20 ग्राम दवा प्रति 16 ली० पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिये अथवा इमीडाक्लोरोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस एल की 250 एम0एल0 दवा को 500 से 600 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेअर की दर से छिड़काव करें। सरसों के एक अन्य रोग अल्टनेरिया पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण हेतु मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू पी 2 कि० ग्रा० की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 ली0 पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए। मटर की फसल हेतु पाउडरी मिल्डयू रोग के नियंत्रण हेतु मैंकोजेब तथा कार्बेन्डाजिग 40 ग्रांम प्रति 10 ली0 पानी में अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत की 3 कि० ग्रा० मात्रा प्रति हैक्टेयर की दर लगभग 500 से 800 ली० पानी में घोल कर छिडकाव करें।
श्री चौहान ने बताया कि गेहूँ में खरपतवार नियंत्रण हेतु गेहूं के सकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे- गेहूंसा, गुल्ली डंडा एवं चीडीपत्ती वाले खरपतवार जैसे बथुआ कृष्ण नील आदि के नियंत्रण हेतु क्लोडिनोफॉप तथा मेटिब्यूजन दवा की 30 ग्राम मात्रा 16 ली० पानी में घोलकर फ्लेट फैन नाजिल लगा कर छिडकाव करने की सलाह दी। कीट रोग एवं खरपतवार नियंत्रण हेतु फसलों की नियमित निगरानी करते हुए अपने विकास खण्डो में स्थापित कृषि रक्षा इकाई पर सम्पर्क करे। वहा पर दवाइयों पर 50 प्रतिशत अनुदान डी०बी० टी० के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पी० सी० एस० आर० एस० ) के मो० नं० -9452247111 या 9452257111 पर एस० एम० एस० या व्हाटसअप के माध्यम से निदान प्राप्त करें।