सुप्रीम कोर्ट से दुष्कर्म मामले में शाहनवाज हुसैन की दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) बीते 2018 में कथित दुष्कर्म मामले में भारतीय जनता पार्टी के नेता सैयद शाहनवाज हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, शीर्ष अदालत ने शाहनवाज हुसैन की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें 2018 के कथित दुष्कर्म मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया था।
जानें क्या है मामला
2018 में दिल्ली की एक महिला ने कथित दुष्कर्म के लिए हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया था। हुसैन ने आरोपों से इनकार किया था। एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 7 जुलाई 2018 को हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देते हुए कहा था कि शिकायत में एक संज्ञेय अपराध बनाया गया है। इसे भाजपा नेता ने सत्र अदालत में चुनौती दी थी जिसने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी 17 अगस्त को हुसैन की याचिका को खारिज कर दिया था
इसके बाद उच्च न्यायालय ने 17 अगस्त को हुसैन की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें निचली अदालत के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। इसमें दिल्ली पुलिस को उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने हुसैन की याचिका पर दिल्ली पुलिस और शिकायतकर्ता महिला को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद प्रथम दृष्टया इस मामले पर विचार करने की जरूरत है।

शाहनवाज के खिलाफ क्या हैं आरोप, शिकायत कब दर्ज हुई?
शाहनवाज हुसैन के खिलाफ एक महिला ने जून 2018 में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता ने अप्रैल 2018 में उसे अपने छतरपुर स्थित फार्महाउस पर बुलाया और कोल्ड ड्रिंक में कुछ नशीला पदार्थ मिलाकर उसे दिया। इसके बाद उसके साथ नशे की हालत में दुष्कर्म हुआ।
शिकायतकर्ता ने भाजपा नेता पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (अगर किसी महिला के साथ कोई जबरन शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे दुष्कर्म की श्रेणी में शामिल किया जाएगा), धारा 328 (कोई किसी व्यक्ति की मर्जी के बिना उसके खाने या पीने की वस्तु में नशीला या जहरीला पदार्थ मिला देता है, जिससे उस व्यक्ति को चोट लग जाती है), धारा 120बी (आपराधिक साजिश), धारा 506 (किसी को धमकी देना) के तहत आपराधिक केस दर्ज करने की मांग की थी।

महिला ने बाद में मेट्रोपोलिटन ट्रायल कोर्ट के सामने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत एप्लिकेशन दायर की। इसमें मांग की गई कि पुलिस को एफआईआर दायर करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं। पुलिस ने इस मामले में चार जुलाई 2018 को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) दायर की थी।
शाहनवाज हुसैन का क्या तर्क रहा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 जुलाई को मामले में निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी। शाहनवाज हुसैन के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि भाजपा नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का फैसला पूरी तरह गलत है, क्योंकि शिकायतकर्ता और शाहनवाज के भाई के बीच कुछ विवाद है। इसी विवाद में शाहनवाज को भी घसीटा जा रहा है।
वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता ने जिस तारीख और समय का जिक्र कर शाहनवाज पर दुष्कर्म के आरोप लगाए हैं, उस दिन भाजपा नेता रात 9.15 बजे तक घर से नहीं निकले थे, तो 10.30 बजे तक छतरपुर कैसे पहुंच सकते हैं। इस मामले में शिकायतकर्ता के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) पेश कर कहा गया कि महिला भी रात 10.45 तक द्वारका में थी, तो वह छतरपुर में कैसे हो सकती है।
वकील ने कहा था कि भाजपा नेता के खिलाफ एफआईआर दायर कराने का जो फैसला निचली अदालत की तरफ से दिया गया, उसके पीछे की कोई स्पष्ट वजह भी नहीं बताई गई। पुलिस को भी शिकायतकर्ता के आरोपों की पुष्टि लायक सबूत नहीं मिले।

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