न किसानों की आय दोगुनी हुई,ना एमएसपी बढ़ी। न किसी गरीब परिवार को छत मिली। आय किसकी दोगुनी कर गई पता नहीं। बजट का प्रभाव भी अमीरों पर है , गरीब तो वही दो वक्त रोटी की लड़ाई लड़ रहा है।
एक–तिहाई दुनिया मंदी में डूब चुकी है और बाकी इस साल डूब जायेगी। छंटनी का भयावह दौर जारी है। शेयर बाजार फड़फड़ाकर 1000 अंक से ज्यादा चढ़ा और आखिर में दोगुनी रफ्तार से कोमा में चला गया।
बहुत कम देखने में आता है कि बजट के दिन शेयर बाजार 2000 अंक गिरा हो। यह बताता है कि हालात से बेखबर इस सरकार की कथनी पर बाजार को कितना भरोसा है। फेंक सब रहे हैं, लपेट कोई नहीं रहा। असल में सरकार तो वादों और इरादों में पहले ही फेल हो चुकी है।
देश तीखी ढलान पर तेजी से फिसल रहा है। बेहद अनिश्चित समय है। बहुत चिंताजनक।